महाकाव्य

रासो

जिस प्रबन्ध काव्य में 8 से अधिक सर्ग हो उसे महाकाव्य कहा जाता है

जिस काव्य में युद्ध और नायक की वीरता का वर्णन होता है

दूहा (दोहा)

सोरठा

राजस्थान के सबसे प्राचीन व लोकप्रिय छन्द। इनमें सभी रसो एवं विषयों की व्यंजना होती है

दूहा व दोहे की मात्राओं को उल्टा कर दिया जाए, तो वह सोरठा काव्य कहलाता है

विगत

ख्यात

विगत से तात्पर्य विस्तृत विवरण से होता है

मध्यकालीन राजस्थानी साहित्य में गद्य भाग में इतिहास लेखन को ख्यात में लिपिबद्ध किया गया

बचनिका

बात / वार्ता 

गद्य व पद्य मिश्रित रचना को बचनिका कहते है

राज्य में किसी ऐतिहासिक व्यक्ति या घटना को किस्सों एवं कहानियों में सुनाना या उसे लिपिबद्ध करना

विलास

परची

इन काव्य ग्रंथों में आमोद-प्रमोद विषयक वर्णन किया जाता है

संत महात्माओं का जीवन चरित जिन पद्यबद्ध रचनाओं में मिलता है

प्रकाश

स्तवन

किसी वंश अथवा व्यक्ति विशेष की उपलब्धियों या घटना विशेष पर

स्तुति परख ग्रंथों को स्तवन कहा जाता है

छावली

दवाबैंत

शेखावटी क्षेत्र के लोक देवता डूंगरजी जवाहरजी के गीतों को

जिस राजस्थानी साहित्य में अरबी, फारसी शब्दों का सम्मिलित प्रयोग होता है

झूलणा

मरस्या

यह एक राजस्थानी काव्य का मात्रिक छन्द है 

किसी राजपूत राजा या किसी वीर व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत शोक व्यक्त करने के लिए रचे हुए साहित्य को मरस्या कहा जाता है

रूपक

मुहणोत नैणसी

किसी वंश अथवा व्यक्ति की उपलब्धियों के स्वरूप को दर्शाने वाले काव्य

ऐतिहासिक ग्रन्थ मारवाड़ रा परगना री विगत तथा नैणसी री ख्यात नामक ग्रन्थ 

चन्द्रबरदाई

नरपति नाल्ह

पृथ्वीराज रासो राजस्थानी भाषा का महत्वपूर्ण महाकाव्य

कवि नरपति नाल्ह ने राजस्थानी व गुजराती मिश्रित भाषा में वीसलदेव रासो नामक ग्रन्थ 

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