राष्ट्रकूट वंश का इतिहास-
राष्ट्रकूट वंश का संस्थापक (Rashtrakuta Vansh Ka Sansthapak)- दन्तिदुर्ग (752 ई.)
कृष्ण-I दन्तिदुर्ग का चाचा था। जिसने ऐलोरा में प्रसिद्ध कैलाशनाथ मन्दिर का निर्माण करवाया।
ध्रुव-I-
- अभिलेखों में इन्हें धारावर्ष कहा गया है।
- त्रिपक्षीय संघर्ष में राष्ट्रकूटों की ओर से भाग लेने वाला प्रथम शासक था।
- जिसने धर्मपाल तथा वत्सराज को हराया।
अमोघवर्ष-I-
- यह जैनधर्म का अनुयायी था।
- इसके सम्बन्ध में जानकारी संजनताम्रपत्र से प्राप्त होती है।
- अमाघवर्ष प्रथम को कन्नड भाषा को प्रथम रचनाकर माना जाता है।
- इन्होंने कविराजमार्ग नामक रचना लिखी।
नोट- त्रिपक्षीय संघर्ष का विवरण भी संजनताम्रपत्र से प्राप्त होता है।
कृष्णा-III-
- 949 ई. में तक्कोलम के युद्ध में कृष्ण-III ने चोल शासक परान्तक-I को हराया था।
कर्क-II (Rashtrakuta Vansh Ka Antim Shasak)-
- इस वंश का अन्तिम शासक था।