राजस्थान की प्रमुख बोलियां

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rajasthan ki boliya

राजस्थान की बोलियों का विकास अपभ्रंश शैली से माना जाता है।
राजस्थान की बोलियों का कथा संग्रह या साहित्य उद्योतन सूरी द्वारा रचित कुवलयमाला नामक ग्रंथ है। जिसकी रचना 835 ई. में भीनमाल, जालौर में की गई थी। इसमे राजस्थान की कुल 18 भाषाओं का उल्लेख किया गया है।
राजस्थानी बोलियां का सर्वप्रथम वैज्ञानिक विश्लेषण 1912 ई मे जार्ज अब्राहम गियर्सन ने Linguastic Servay of India में किया है। सर्वप्रथम गियर्सन ने राजस्थानी भाषा का विभाजन 20 भागों में किया लेकिन बाद मे संशोधन करके पांच भागों मे कर दिया।

  1. पश्चिमी राजस्थान की बोलियाँ- मारवाड़ी, मेवाड़ी, बीकानेरी, ढ़ारकी, खैराड़ी, गोंदवाडी, देवड़ावाटी।
  2. मध्य राजस्थान की बोलियाँ- ढूँढाड़ी, जयपुरी, काठेड़ी, राजावाटी, तोरावाटी, चौरासी, खड़ी बोली, नागर चोल।
  3. उत्तरी पूर्वी राजस्थान- मेवाती, अहीरवाटी, राठी, ब्रज।
  4. दक्षिणी पूर्वी राजस्थान- रागड़ी, सोन्दवाड़ी।
  5. दक्षिणी राजस्थान- निमाड़ी, बागड़ी।
  • मारवाड़ी बोली- मारवाडी बोली पश्चिमी राजस्थान मे सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है।
    • मुख्य रूप से जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर, जालौर, नागौर, सिरोही, पाली जिलों मे बोली जाती है।

नोट- मारवाडी बोली के साहित्यिक रूप को डिगंल कहा जाता है।

  • बागडी बोली (डूंगरपुर, बांसवाडा)- इस बोली पर गुजराती भाषा का सर्वाधिक प्रभाव है।
  • ढूंढाडी/जैपुरी बोली/झाड़शाही – जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, किशनगढ तहसील (अजमेर) तथा लावा क्षेत्र (टोंक) मे ढूंढाडी बोली जाती है।
  • मेवाती बोली – (अलवर व भरतपुर) इस बोली का ब्रज भाषा का सर्वाधिक प्रभाव है।

पूर्वी राजस्थान के साहित्यिक भाषा को पिंगल कहा जाता है।

  • शेखावटी बोली- सीकर, चूरू, झुंझुनू
  • तोरावाटी बोली- जयपुर, सीकर, झुंझुनू
  • राजावाटी बोली- यह बोली जयपुर के पूर्वी भागों मे बोली जाती है।
  • देवड़ावाटी बोली- सिरोही
  • गोड़वाडी बोली- बाडमेर, जालौर, पाली आदि।
  • हाड़ौती बोली- कोटा, बूंदी, बारा, झालावाड।
  • अहीरवाटी- यह बोली अलवर जिले की बहरोड, बानसूर तथा मुण्डावर आदि तहसीलों मे बोली जाती है।
  • मालवी- चित्तौडगढ, कोटा, बारा, झालावाड।

नोट- इस बोली मे मारवाडी तथा ढूढाडी बोलियों की विशेषता पायी जाती है।

  • नीमाड़ी- यह मालव प्रदेश मालवी की उप बोली है यह दक्षिण जिलें चित्तौडगढ, प्रतापगढ, बासंवाडा, डूंगरपुर मे बोली जाती है।
  • रांगडी- मारवाड़ी और मालवी बोली के मिश्रण से रांगडी बोली का जन्म हुआ जो मुख्य रूप से दक्षिणी पूर्वी राजस्थान में बोली जाती है।
  • खैराड़ी बोली- यह प्रमुखतः भीलवाडा की शाहपुरा और जहाजपुरा तहसील तथा टोंक के मालपुरा क्षेत्र मे बोली जाती है। इस बोली मे मेवाड़ी, ढूंढाड़ी तथा हाड़ौती का मिश्रण है।

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