Rajasthan ke Lok Geet | राजस्थान के लोक-गीत

0
98
Rajasthan ke Lok Geet

पावणा लोकगीत-

  • यह लोकगीत दामाद के ससुराल में जाने पर गाया जाता है।

ओळयूं-

  • बेटी की विदाई के समय गाये जाने वाले गीत। यह विरहिणी स्त्रियों द्वारा पति की याद में गाया जाता है।

ओ जी ओ गोरी रा लसकरिया ओल्यूंडी लगा थें
कोठै चाल्याजी ढोला…………….

गोरबंद-

  • ऊंट के गले का हार गोरबंद कहलाता है। इस गीत में ऊंट के श्रृंगार का वर्णन किया जाता है। यह मुख्य रूप से रेगिस्तानी क्षेत्र में गाया जाता हैं जैसे-

लड़ती लूमा झूमा ए, म्हारो गोरबंध नखराळो,
आली जा म्हारो गोरबंध नखराळो

कामण लोकगीत-

  • ससुराल में वर को जादू-टोने से बचाने के लिए गाया जाने वाला गीत।

पणिहारी लोकगीत-

  • यह राजस्थान के पनघट से जुड़े लोक गीतों में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इसमें पतिव्रत धर्म पर अटल पणिाहारिन व पथिक के सवांद को गीत रूप में गाया जाता है जैसेः-

कुण रे खुदाया कुआँ, बावड़ी ए पणिहारी जी रे लो
मिरणा नैणी जी रे लो,
कुणरे बंधाया भीम तळाव, वाला जी

मोरियो-

  • मोर के लिए गाया जाने वाला गीत मोरिया कहलाता है।

मोरिया आछौ बोल्यौ रे ढळती रात मां,
म्हारै हिवडै़ में ब्हैगी रे कटार मोरिया……………..।
आछौ बोल्यौ रे ढळती रात मां………………..।

घूमर लोकगीत-

  • ये लोकगीत घूमर नृत्य के समय गाये जाते है।

कुंरजा लोकगीत-

  • कुंरजा गीत विरहणी द्वारा गया जाता है। इस पक्षी के माध्यम से विरहणी स्त्री अपने संदेश को अपने पति तक पहुंचाती है।

कांगसियों लोकगीत-

  • शाब्दिक अर्थ – कंघा यह गीत विशेषकर गणगौर के अवसर पर गाया जाता है।

काजलियों-

  • शाब्दिक अर्थ – काजल

हिचकी-

  • यह लोकगीत अलवर व भरतपुर में ज्यादा लोकप्रिय है।

बिछूडों-

  • हाडौती क्षेत्र में प्रचलित

चिरमी गीत-

  • ये लोकगीत पश्चिमी राजस्थान में प्रसिद्ध है इन गीतों के माध्यम से एक ग्राम वधु चिरमी के पौधे को अपने मन की व्यथा कहती है।

केेसरिया बालम-

  • यह एक रजवाडी व विरह गीत है। यह मांड शैली का गीत है। राजस्थान की मांड गायकी विश्वप्रसिद्ध है। यह गायकी लोकसंगीत और शास्त्रीय संगीत का मिलाजुला रूप है। राजस्थान की प्रमुख मांड गायिकाओं में अल्लाजिलाईबाई, फत्तीबाई और मांगीबाई आदि के नाम प्रसिद्ध है।

केसरिया बालम पधारौ, आओ नीं म्हारै देस

घुड़ला लोकगीत-

  • यह घुड़ला नृत्य के साथ गाया जाता है। यह लोकगीत मारवाड़ क्षेत्र में अधिक प्रसिद्ध है।

हिड़ौला-

  • यह लोकगीत सावन के महीने में तथा जन्माष्टमी के अवसर पर गाये जाते है।

लागुंरिया-

  • ये लोकगीत कैला मैया की आराधना में गाये जाते है।

विनायक-

  • विनायक (गणेश) मांगलिक कार्यो के देवता है। अतः मांगलिक कार्य एवं विवाह के अवसर पर सर्वप्रथम विनायक जी का गीत गाया जाता है। गीत के बोल इस प्रकार है-

चालो ओ, विनायक आपां जोसीड़ा रे चालां,
आछा-आछा लगन लिखावां ओ गजानन,
ओ म्हारा बिड़द विनायक

बिणजारा-

  • बिणजारा लोग बणज करते समय बैलों पर सामान लादकर ले जाते थे। इसे बाळद कहा जाता है। लंबी यात्रा करते समय महिलाओं के द्वारा यह गीत गाया जाता था।

चम-चम चमक चूंदडी बिणजारा रे
कोई थोडो सो म्हारै सामी नाळ रे बिणजारा रे

इंडोणी-

  • शाब्दिक अर्थ – ईडी इरा गीत के जरिये महिला अपनी इंडोणी की प्रशंसा करती है।

बना-बनी- विवाह के अवसर पर गाये जाने वाला लोकगीत।
बनो तो म्हारौ रामचंद्र अवतार,
बनी तो म्हारी सीता जानकी…………………।

वर्षा ऋतु के गीत-

  • राजस्थान की मरुभूमि में बरसात का बहुत अधिक महत्व है। अतः यहाँ वर्षा ऋतु से संबंधित लोकगीत भी बहुत गाए जाते है। इस गीत में वर्षा ऋतु को सुरंगी ऋतु की उपमा दी गई है।

ओ कुण बीजै बाजरौ ए बादळी,
ओ कुण बीजै मोठ, मेवा, मिसरी,
सुरंग ऋतु आई म्हारा देस में,
भली रे ऋतु आई म्हारा देस में……………….।

कागा-

  • ये लोकगीत विरहणी – स्त्रियों द्वारा गाये जाते है जो अपने पति के आने का शगुन मानती है।

सीठणे-

  • ये गाली गीत कहलाते है जो विवाह के अवसर पर गाये जाते है।

सुपणा-

  • यह एक विरह गीत है।

झोराणा-

  • यह लोकगीत जैसलमेर जिले में अधिक प्रसिद्ध है तथा वह विरह-गीत है।

पीपली-

  • ये लोकगीत शेखावटी व मारवाड में अधिक लोकप्रिय है। ये विरह गीत है।

हमीसढ़ो-

  • उदयपुर, राजसमंद में यह लोकगीत अधिक प्रसिद्ध है। ये लोकगीत भील स्त्री-पुरूष द्वारा गाये जाते है।

सूंवतिया-

  • भील स्त्रियों का विरह गीत

लावणी-

  • शाब्दिक अर्थ – बुलाना, इन गीतों के जरिये नायिका, नायक को बुलाती है।

बधावा-

  • इन लोकगीतो के जरिये बंधाई दी जाती है।

जीरो-

  • इस लोकगीत के जरिये महिला अपने पति को जीरा बोने से रोकती है

ढोला मारू-

  • सिरोह क्षेत्र में।

लोक भजन-

  • किसी भी कार्य सिद्धि के लिए लोकभजनों द्वारा इष्ट को प्रसन्न किया जाता है।

बाजे छै नौबत बाजा, म्हारा डिग्गीपुरी का राजा

म्हैं हेलो देती आई म्हारी माय, सोना रा झांझर बाजणा

खम्मा खम्मा खम्मा रे कंवर अजमाल जी रा…….।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here