जलमण्डल-
- पृथ्वी पर 21.8% भू-भाग पर स्थल व 78.2% भाग पर जल है।
- जल की अधिकता के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में 50% भाग पर स्थल है व 40% भाग पर जल है इसलिए इसे स्थलीय गोलार्द्ध की संज्ञा दी गई है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में 19% भाग पर स्थल है व 81% भाग पर जल है। इसलिए इसे जलीय गोलार्द्ध की संज्ञा दी गई है।
महासागर- (क्षेत्र के अवरोही क्रम में)
- प्रशान्त महासागर- यह पैन्थालासा का अवशिष्ट भाग है इसकी आकृति त्रिभुजाकार है।
- अटलांटिक महासागर- इसकी आकृति अंग्रेजी के आकार की है।
- हिन्द महासागर- इसकी आकृति अंग्रेजी के M के आकार की है।
- आर्कटिक महासागर- इसकी आकृति अंग्रेजी के D आकार की है।
औसत गहराई के अवरोही क्रम में-
- प्रशान्त महासागर
- हिन्द महासागर
- अटलांटिक महासागर
- आर्कटिक महासागर
- महाद्वीपों की औसत ऊँचाई 840 मीटर है। जबकि महासागरों की औसत गहराई 3808 मीटर है।
- उच्चतादर्शी वक्र/उच्चतामितीय वक्र/ Hypsometric – इस वक्र के द्वारा स्थल खण्डों की ऊँचाई तथा महासागरीय उच्चावच की गहराई को प्रदर्शित किया जाता है।
महासागरीय उच्चावच-
- महाद्वीपीय मग्नतट-
- इसे महाद्वीपीय शैल्फ या महाद्वीपीय छज्जा भी कहते है।
- मग्न तट का 70 प्रतिशत भाग स्थल जात निक्षेपो से ढका रहता है।
- विश्व के प्रमुख मत्स्यन केन्द्र इस तट पर होते है।
- इस क्षेत्र में पैट्रोल खनन (पैट्रोन उत्पादन) की क्रिया होती है।
- विश्व का सबसे चौडा मग्न तट साइबेरिया के तट (आर्कटिक महासागर) पर स्थित है।
- विश्व का सबसे सकरा मग्न तट चिली तट (एण्डीज पर्वतमाला का तटीय क्षेत्र) व सुमात्रा का तट है।
- मग्न तट का प्रादेशिक वितरण- (क्षेत्र में अवरोही क्रम में)
- अटलांटिक महासागर
- प्रशान्त महासागर
- हिन्द महासागर
- शैल्फ अवकाश- यह मग्न तट व मग्न ढाल का मिलन बिन्दु होता है।
- महाद्वीपीय मग्न ढाल- यह मग्न तट व गंभीर सागरीय मैदान के मध्य तीव्र ढाल वाला भाग होता है।
- मग्ल ढाल प्रादेशिक वितरण- (क्षेत्र के अवरोही क्रम में)
- अटलांटिक महासागर
- प्रशान्त महासागर
- हिन्द महासागर
- महाद्वीपीय उभार-
- यह महाद्वीपीय मग्न ढाल के आधार में स्थित होता है।
- इसे महासागरीय क्रस्ट का प्रारम्भिक बिन्दु भी कहते है।
- प्रशान्त महासागर में इसकी अनुपस्थिति पाई जाती है।
- अन्तः सागरीय कन्दराऐं (कैनियन)-
- सामान्यतः महासागरों में महाद्वीपीय मग्न पट व मग्न दाल का सकरी, गहरी व तीव्र ढाल वाली घाटी को कैनियन कहते है।
- विश्व की सबसे लम्बी कैनियन- बैरिंग कैनियन है।
- महासागरीय गर्त- महासागरीय गर्त ढाल होता है जिसके किनारे तीव्र ढाल वाले होते है।
- महासागरीय तली का अधिकतम गहरा ढाल होता है जिसके किनारे तीव्र ढाल वाले होते है।
- ये सामान्यतः मग्न दाल के आधार के आसपास पाये जाते है।
वर्तमान में विश्व में कुल 57 गर्तो की खोज हुई है।
- प्रशान्त महासागर- (32 गर्त) प्रशान्त महासागर में 32 गर्त है।
- मैरियाना ट्रन्च/चैलैन्जर गर्त- यह विश्व का सबसे गहरा गर्त है।
- अन्य गर्त- टोंगा गर्त, करमोडक गर्त
- अटलांटिक महासागर- (19 गर्त) इस महासागर में 19 गर्त है।
- पोर्टोरिको गर्त- अटलांटिक महासागर का सबसे गहरा गर्त है।
- अन्य गर्त- नरेस, रोमान्चे, वाल्डिविया गर्त
- हिन्द महासागर- (6 गर्त) इस महासागर में कुल 6 गर्त है।
- डायमोण्टाना गर्त- सबसे गहरा गर्त है। (हिन्द महासागर)
- अन्य गर्त- सुण्डा गर्त- जावा द्वीप के दक्षिण में स्थिति है।
स्थल से समुद्र की ओर उच्चावचों का क्रम-
- महाद्वीपीय मग्न तट
- अन्तः महासागरीय कैनियन
- शैल्फ अवकाश
- महाद्वीपीय मग्न ढाल
- महाद्वीपीय उभार
- महासागरीय गर्त
- गम्भीर सागरीय मैदान
गौण उच्चावच-
- समुद्री पर्वत- वह एकाकी पर्वत जो महासागरीय तली से 1000 मीटर ऊँचा हो उसे समुद्री पर्वत कहते है। इसका शीर्ष नुकीला होता है। यह सर्वाधिक प्रशान्त महासागर में पायें जाते है।
- गियोट/ग्युऑट- सपाट शीर्ष वाले समुद्री पर्वत गियोट कहलाते है।
भारत का पूर्वी तट सकरा तथा पश्चिमी तट चौडा है। यह सर्वाधिक प्रशान्त महासागर में पाए जाते है। - मध्य महासागरीय कटक-
- प्लेटो के अपसरण के निर्मित कटक जो महासागरों के मध्य में पाई जाती है।
- यह महासागरीय तली का सबसे नवीनतम भाग होता है।
अटलांटिक महासागर-
इसके प्रमुख कटक है।
- मध्य अटलांटिक कटक- S आकृति में आइसलैण्ड से बोवन द्वीप तक 14400 किमी. की लम्बाई में फैली हुई है।
- यह विश्व की सबसे लम्बी महासागरीय कटक है।
- इस कटक के विषुवत रेखा उत्तरी भाग को डाल्फिन कटक तथा विषुवत रेखा से दक्षिण भाग को चैलेन्जर कटक कहते है।
- विविल टामसन कटक- आइसलैण्ड से स्कॉटलैण्ड के मध्य की कटक का नाम है। उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है।
- टेलीग्राफ्रिक का पठार- उत्तरी अटलांटिक में ग्रीनलैण्ड के दक्षिण में स्थित कटक का नाम है।
- वालिवस कटक (पालविस)- दक्षिण अटलांटिक में दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तटीय क्षेत्र में स्थित कटक है।
- रियोग्राण्डे कटक/उभार- दक्षिण अटलांटिक में दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तटीय क्षेत्र में स्थित कटक है।
प्रशान्त महासागर-
इसके प्रमुख कटक है।
- पूर्वी प्रशान्त कटक- (अल्बेस्ट्रास का पठार) भी कहते है।
- उत्तरी प्रशान्त महासागर में
- क्वीन्सलैण्ड का पठार- दक्षिण प्रशान्त ग्रेट बेरियन रीफ के पूर्व में स्थित कटक है।
हिन्द महासागर-
इसके प्रमुख कटक है।
- लकादीव चाकोस कटक- अरब सागर में है (लक्षद्वीप में)
- सेन्ट एमस्टेडम कटक- विषुवत रेखा के निकट है।
- 90o पूर्वी कटक- 90o पूर्वी देशान्तर के साथ विस्तृत है। (दक्षिण हिन्द महासागर में)
- कर गुलेनगास बर्ग कटक- 30o-30o दक्षिणी अक्षांशो के मध्य (दक्षिण हिन्द महासागर)
आर्कटिक महासागर-
इसके प्रमुख कटक है। लोमोनोसोव कटक- रूस में है।
महासागरीय तापमान-
- महासागरीय जल का औसत तापमान 17.2oC (63oF) होता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में महासागरो का औसत तापमान 19.4oC (67oF) होता है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में महासागरीय जल का औसत तापमान 16.1oC (61oF) होता है।
- पृथ्वी का औसत तापमान 15oC
महासागरीय लवणता- प्रति हजार ग्राम जल में उपस्थित लवणता की मात्रा को महासागरीय लवणता कहते है।
महासागरीय वलणता के घटक-
- सोडियम क्लोराइड
- मैग्नेशियम क्लोराइड
- मैग्नेशियम सल्फेट
- कैल्शियम सल्फेट
- पोटेशियम सल्फेट
- महासागरों में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला धन आयन (धनायन) सोडियम है।
- महासागरों में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला ऋणायन- क्लोरीन है।
- महासागरों में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला आयन- क्लोरीन है।
- महासागरों की औसत लवणता- 35% (प्रति हजार ग्राम) होती है।
- महासागरों में लवणता विषुवत रेखा से धु्रवों की ओर घटती है।
- महासागरों में सर्वाधिक लवणता के निकट पाई जाती है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में सर्वाधिक लवणता 28oN – 40oN अक्षांश के मध्य पाई जाती है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में सर्वाधिक लवणता 10oS – 30oS अक्षांश के मध्य पाई जाती है।
आइसोहेलाइन (सम लवण रेखा)- महासागरों में पर स्थानों को मिलाने वाली रेखा है।
लवणता के अवरोही क्रम में महासागरों का क्रम-
- अटलांटिक महासागर- अटलांटिक महासागर उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित सारगैसों सागर में इस महासागर की सर्वाधिक लवणता पाई जाती है।
- हिन्द महासागर- (36%) अरबसागर में बंगाल की खाड़ी की तुलना में ज्यादा लवणता पाई जाती है।
- ज्वारभाटा- सूर्य व चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति के कारण महासागरीय जल का नियमित उतार-चढाव ज्वारभाटा कहलाता है।
- ज्वार का समय-
- किसी स्थान पर अगले दिन ज्वार 24 घंटे 52 मिनट की देरी से आता है।
- दो क्रमिक ज्वारों में 12 घंटे 52 मिनट का अन्तर होता है।
- चन्द्रमा की घटाने, बढाने का ज्वार के समय पर कोई प्रभाव नहीं पडता है।
- यदि चन्द्रमा की घूर्णन/परिभ्रमण गति को घटाने, बढाने का ज्वार के समय पर कोई प्रभाव नहीं पडता है।
- यदि चन्द्रमा की परिक्रमण गति बढाते है तो ज्वार का समय बढ जाता है। अगले दिन 104 मिनट देरी से ज्वार आता है।
- चन्द्रमा की परिक्रमण गति घटाने पर ज्वार का समय 12 घंटे 13 मिनट कम हो जायेगा।
- यदि पृथ्वी की घूर्णन गति/परिभ्रमण को बढाया जाये तो ज्वार का समय कम हो जायेगा।
- जैसे- घूर्णन गति दुगुना करने पर अगले दिन ज्वार 12 घंटे 26 मिनट देरी से आयेगा।
- दीर्घ ज्वार का भाटा- यह अमावस्या व पूर्णिमा को आते है। जब सूर्य, चन्द्रमा व पृथ्वी एक सीध में होते है।
- लघु ज्वार का भाटा- यह कृष्ण पक्ष व अष्टमी को आते है जब सूर्य, चन्द्रमा व पृथ्वी समकोणिक की स्थिति में होते है।
- विश्व में प्रथम ज्वारीय ऊर्जा का केन्द्र- रैन्स घाटी (फ्रांस) में है।
- विश्व में सबसे बडा ज्वारीय ऊर्जा का केन्द्र- शीवा झील (दक्षिण कोरिया) है।
अटलांटिक महासागर की धारायें-
- उत्तरी अटलांटिक महासागर की धारा-
- उत्तरी विषुवत रेखीय धारा- गर्म धारा
- एन्टलीज की धारा- गर्म धारा
- गल्फस्ट्रीम की धारा- गर्म धारा
- लैब्रोडोर की धारा- ठण्डी धारा
- इरमिंगिर की धारा- गर्म धारा
- रैनल की धारा- गर्म धारा
- सारगैसो सागर व वरमुडा ट्राइंगल उत्तरी अटलांटिक में स्थित है।
- प्रति विषुवत रेखीय धारा (गर्म धारा)- इसे गिनी की धारा भी कहते है।
- दक्षिणी अटलांटिक महासागर की धाराऐं-
- दक्षिण विषुवत रेखीय धारा- गर्म धारा
- ब्राजील की धारा- गर्म धारा
- फॉकलैण्ड की धारा- ठण्डी धारा
- दक्षिण अटलांटिक धारा- ठण्डी धारा
- प्रशान्त महासागर की धाराऐं-
- उत्तरी प्रशान्त महासागर की धारा-
- क्योशियो की धारा- गर्म धारा
- सुशीमा की धारा- ठण्डी धारा
- आयोशियो/क्युराइल की धारा- ठण्डी धारा
- उत्तरी प्रशान्त धारा- गर्म धारा
- कैलीफोर्निया की धारा- ठण्डी धारा
- दक्षिणी प्रशान्त महासागर की धाराऐं-
- पूर्वी ऑस्ट्रेलिया की धारा- गर्म धारा
- दक्षिण प्रशान्त/अंटार्कटिक ड्रिफ्ट धारा- ठण्डी धारा
- पेरू की धारा- ठण्डी धारा
- अलनीनो धारा- गर्म धारा
- लानीनो धारा- ठण्डी धारा
- उत्तरी प्रशान्त महासागर की धारा-
- हिन्द महासागर की धाराऐं-
- उत्तरी हिन्द महासागर की धाराऐं-
- उत्तरी-पूर्वी मानसून ड्रिफ्ट धारा- गर्म धारा (शीत ऋतु में चलती है) वामावर्त दिशा (पूर्व से पश्चिम दिशा में)
- दक्षिणी पश्चिमी मानसून ड्रिफ्स धारा- गर्म धारा ग्रीष्म ऋतु में चलती है। (पश्चिम से पूर्व दिशा में चलती है।)
- प्रतिविषुवत रेखीय धारा- गर्म धारा मात्र शीत ऋतु में प्रवाहित होती है। ग्रीष्म ऋतु में विलुप्त हो जाती है।
- दक्षिण हिन्द महासागर की धाराऐं-
- दक्षिण विषुवतीय धारा- गर्म धारा
- मोजम्बिक की धारा- गर्म धारा (मेडागास्कर के पश्चिमी तट पर)
- मेडागास्कर की धारा- गर्म धारा (मेडागास्कर का पूर्वी तट)
- अगुलाहस की धारा- गर्म धारा
- दक्षिण हिन्द/अंटार्कटिक- ठण्डी धारा
- उत्तरी हिन्द महासागर की धाराऐं-
जलमण्डल
- संसार का सबसे बड़ा महासागर- प्रशान्त महासागर
- सबसे गहरा महासागर- प्रशान्त महासागर
- मृतसागर स्थित है- जार्डन व सरिया के बीच
- भारत सबसे ज्यादा समुद्र तट किस राज्य का है- गुजरात
- आदम व्रिज मध्य में है- पाक स्ट्रेट व मन्नार की खाडी
- पृथ्वी के धरातल पर कितने प्रतिशत जल है- 71 प्रतिशत
- एक दिन में ज्वार भाटा कितनी बार आता है- दो बार
- आन्तरिक सागर है- कैस्पियन सागर
- सबसे गहरा महासागरीय गर्त है- मेरियाना गर्त उत्तरी प्रशान्त महासागर
- ज्वार भाटा आने का कारण है- सूर्य व चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण
- सागर जो चारों ओर से भूमि से घिरा हुआ है- कैस्पियन सागर
- छिपता हुआ सागर (विनिशिंग ओशन) है- आर्कटिक महासागर
- वह कौन सा सागर है जिसकी सीमायें तीन महाद्वीपों से मिलती है- भूमध्य सागर
- उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के बीच कौनसा जलडमरू मध्य है- पनामा
- समुद्र तल की क्षैतिज रेखा जिससे ऊँचाई तथा गहराई की माप होती है क्या कहलाती है- डेटम रेखा
- बरमूडा त्रिशुल स्थित है- पश्चिमी उत्तरी अटालांटिक महासागर में