बाबर

- मुगल साम्राज्य का संस्थापक बाबर था।
- बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 फरगना (उजबेकिस्तान) में हुआ।
- प्रारम्भिक जीवन में काबुल को प्राप्त करने के अनेक प्रयास किये। किन्तु सफलता 1504 में मिल पायी।
- 1507 में अपने पूर्वजों द्वारा धारण की जाने वाली मिर्जा की उपाधि के स्थान पर बादशाह की उपाधि धारण की।
- बाबर ने भारत पर प्रथम आक्रमण 1519 में बाजौर (पाकिस्तान) पर किया तथा भेरा के किले को जीता।
- इस आक्रमण में पहली बार बाबर ने भारत में तोपखाने का उपयोग किया।
- तोपखाना- तोपखाने का उपयोग बाबर ने कुस्तुन्तुनिया के तुर्को से सीखा।
- तुलगुमा पद्धति- सेना को व्यवस्थित करने से सम्बन्धित पद्धति जिसका उपयोग बाबर ने उजबेकों से सीखा।
- पानीपत का प्रथम युद्ध (1526 ई.)- इब्राहिम लोदी तथा बाबर के मध्य।
- इस युद्ध में बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर भारत की केन्द्रीय सत्ता पर अधिकार कर लिया।
- इब्राहिम लोदी अफगान शासक था जो इस युद्ध में मारा गया।
- बाबर ने भारत में पहली बार तोपखाने तथा तुलगुमा पद्धति का एक साथ उपयोग इस युद्ध में किया।
- इस युद्ध को जीतकर बाबर ने काबुल के प्रत्येक नागरिक को चाँदी का एक-एक सिक्का भेंट किया।
- अतः बाबर को कलंदर कहा जाता है।
- खानवा का युद्ध (1527 ई.)-
- इस युद्ध में बाबर ने मेवाड़ के शासक राणा साँगा का हराया।
- इतिहासकारों के अनुसार साँगा की सेना बाबर की सेना की दोगुनी थी। क्योकि राजपूताना के लगभग सभी शासकों ने साँगा को सहयोग दिया था।
- इस युद्ध को बाबर ने जेहद (धर्मयुद्ध) घोषित किया तथा विजय के बाद गाजी की उपाधि धारण की।
- चन्देरी का युद्ध (1528 ई.)-
- बाबर ने चन्देरी के राजपूत शासक मेदिनीराय को इस युद्ध में पराजित किया।
- इस युद्ध को भी बाबर ने जेहाद घोषित किया था तथा उसने राजपूतों के सिरों की मीनार बनवायी।
- घाघरा युद्ध (1529 ई.)-
- बंगाल-बिहार के अफगानों ने महमूद लोदी के नेतृत्व में बाबर को पराजित करने का अन्तिम प्रयास किया।
- किन्तु घाघरा के युद्ध में बाबर ने विजय प्राप्त की।
- बाबर की मृत्यु (1530 ई.)-
- बाबर को आरामबाग (आगरा) में दफनाया गया।
- बाद में इनका मकबरा काबुल में बनवाया गया।
- हुमायूंनामा की रचनाकार गुलबदन बेगम के अनुसार बाबर की मृत्यु इब्राहिम लोदी की माता द्वारा जहर देने से हुई।
- बाबरनामा-
- बाबर ने बाबरनामा की रचना तुर्की भाषा में की। जिसे बाद में फारसी में अनुवादित किया गया।
- नोट- फारसी मुगलकाल की राजकीय भाषा थी।
- अनुवादित करने वाले व्यक्ति- पायन्द खाँ- हुमायूं के समय, जैन खाँ- हुमायंू के समय, रहीम- अकबर के समय, तुरबाती- शाहजहाँ के समय।
- बाबरनामा के अनुसार बाबर के भारत आक्रमण के समय पाँच मुस्लिम तथा दो हिन्दु राजवंश भारत में शासन कर रहे थे।
- बाबर के अनुसार उस समय भारत का सर्वश्रेष्ठ शासक विजयनगर का कृष्णदेवराय था।
- बाबर के अनुसार भारत के सैनिक मरना जानते है किन्तु लड़ना नहीं।
- बारबरनामा इस पुस्तक के अनुसार बाबर को भारत आक्रमण के लिए दौलत खाँ लोदी तथा महाराणा साँगा ने आमंत्रित किया।
- एलफिंस्टन के अनुसार एशिया में पाये जाने वाले ग्रन्थों में से बाबरनामा एकमात्र वास्तविक इतिहास का ग्रन्थ है।
- लेनपूल के अनुसार बाबर एक भाग्यशाली सैनिक था किन्तु साम्राज्य निर्माता नहीं था।
- बाबर ने आगरा में आरामबाग की स्थापना करवाई।
- उसने भारत में फव्वारा पद्धति प्रारम्भ की।
- बाबर ने पद्य लेखन की मुबईयान शैली को प्रारम्भ किया।
हुमायूँ (1530-1540) तथा (1555-1556)
- जन्म- 1508 में काबुल में हुआ।
- बाबर की मृत्यु के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को चार भागों में बांट दिया।
- कामरान- काबुल और कन्धार
- हिन्दाल- मेवात क्षेत्र
- अस्करी- सम्भल (उत्तरप्रदेश)
- हुमायूँ- दिल्ली, आगरा क्षेत्र
- 1532 में चुनार के किले को अपने नियन्त्रण में लेकर शेरशाह को खदेड़ दिया।
- 1534-35 में गुजरात के शासक बहादुरशाह ने हुमायूँ से पूर्व अनुमति प्राप्त करके चित्तौड़ पर आक्रमण किया।
- रानी कर्मावती ने हुमायूँ से सहायता प्राप्त करने की कोशिश की।
- 1535 मन्दसौर का युद्ध- इस युद्ध में हुमायूँ ने गुजरात के शासक बहादुरशाह को पराजित किया।
- 1538 में हुमायूँ- ने बंगाल-बिहार के क्षेत्र पर आक्रमण करके शेरशाह को बाहर निकाल दिया।
- 1539- चौसा का युद्ध- (बिहार)
- इस युद्ध में शेरशाह ने हुमायूं को पराजित किया। गंगा मे कूदकर वह निजाम नामक भिश्ती की सहायता से मुश्किल से जान बचा पाया।
- हुमायूं ने इस भिश्ती को एक दिन का शासक बनाया जिसने चमड़े के सिक्के चलाए।
- चौंसा के युद्ध को जीतकर शेरखां ने शेरशाह की उपाधि धारण की।
- 1540 बिलग्राम/कन्नौज का युद्ध-
- इस युद्ध में शेरशाह ने हुमायूं को हराकर सूरी राजवंश की।
- यह भारत में द्वितीय अफगान साम्राज्य कहलाया।
- कन्नौज के युद्ध में हुमायूं की सहायता के लिए कामरान आया किन्तु दोनों भाइयों में नेतृत्व को लेकर विवाद हो गया।
- तारीख-ए-रशीदी के रचनाकार मिर्जा हैदर दोगलत के अनुसार एक भी गोली नहीं चली, तीर तलवार नहीं चले और मुगल सेना भाग खड़ी हुई।
- 1540-1555- सूरी वंश
- 1555 ई. मे वापस आकर हुमायूं ने मच्छीवारा के युद्ध में अफगानों को पराजित किया।
- 1555 ई. में सरहिन्द के युद्ध में सिकन्दर शाह सूरी के नेतृत्व वाली अफगान सेना को पराजित करके पुनः मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
- हुमायूं ने दिल्ली के समीप दीनपनाह नगर की स्थापना की।
- 1556 में दीनपनाह नगर में शेरमण्डल पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर हुमायूं की मृत्यु हो गई
- लेनपूल ने लिखा है वह जिन्दगी भर ठोकरे खाता रहा और एक ठोकर से उसके जीवन का अन्त हो गया।
- हुमायूं का मकबरा-
- हुमायूं का मकबरा दिल्ली में हाजी बेगम ने बनवाया।
- सर्वाधिक मुगल शासकों के मकबरे दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के परिक्षेत्र में है।
- हुमायूं के मकबरें में पहली बार दोहरे गुम्बद का प्रयोग किया।
- हुमायूं के मकबरें को ताजमहल का पूर्वगामी माना जाता है। यह भारत में चारबाग शैली का प्रथम मकबरा है।
- हुमायूं सप्ताह के सात दिनों में अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनता था।
अकबर (1556 ई.-1605 ई.)
- मुगल काल मे सर्वाधिक शासन करने वाला शासक।
- जन्म- 15 अक्टूबर 1542
- स्थान- अमरकोट में राणा वीरसाल के महल में।
- अकबर औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाया।
- शासक बनने से पहले वह गजनी तथा लाहौर का सूबेदार था।
- हुमायूं की मृत्यु के समय अकबर पंजाब क्षेत्र में था। जहां 14 फरवरी, 1556 को गुरदासपुर (कलानौर) में अकबर का राजयभिषेक बैराम खां ने करवाया।
- हेमू का आक्रमण- 1556 ई. मे हेमू ने आक्रमण करके दिल्ली की सत्ता पर अधिकार कर लिया।
- उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
- ऐसा करने वाला वह भारतीय इतिहास का 14वां शासक था।
- मध्यकालीन भारतीय इतिहास में दिल्ली पर शासन करने वाला हेमू एक मात्र हिन्दु शासक था।
- पानीपत का दूसरा युद्ध- 1556 में बैराम खां व हेमू के मध्य।
- इस युद्ध में बैराम खां ने हेमू को पराजित करके दिल्ली की सत्ता अकबर के लिए प्राप्त की।
- 1556-1560 ई. तक बैराम खां का संरक्षण रहा। इस संरक्षण से परेशासन होकर अकबर ने बैराम खां को शासन से दूर करने का प्रयास किया।
- अतः दोनों के बीच 1560 ई. में तिलवाड़ा का युद्ध हुआ जिसमें बैराम खां पराजित हुआ।
- अकबर की सलाह पर हज पर जाते हुये बैराम खां की हत्या मुबारक खां नामक अफगान द्वारा कर दी गई।
- पेटिकोट सरकार/पर्दा शासन/हरम दल का शासन-
- 1560-62 तक शासन की बागडोर माहम अनगा के नेतृत्व में हरम दल के पास रही।
- जिसमें जीजी अनगा तथा आधम खां भी शामिल थे।
- इस काल में माहम अनगा प्रधानमंत्री थी।
- अकबर का योगदान-
- 1562- दास प्रथा का अन्त
- 1563- तीर्थ यात्रा कर समाप्त
- 1564- जजिया कर हटाया
- 1571- फतेहपुर सीकरी की स्थापना (वास्तुकार- बहाउद्दीन)
- 1574- हुलिया लिखना व दागना
- 1575- इबादत खाने की स्थापना मनसवदारी व्यवस्था का प्रारम्भ
- 1577- सिक्स गुरू रामदास को भूमि दान (अमृतसर की स्थापना हेतु 500 बीघा भूमि दान)
- 1578- इबादत खाने को सभी धर्मो के लिए खोला
- 1579- महजर की घोषणा
- 1580- दहसाला प्रणाली
- 1581- जजिया लगाया $ हटाया
- 1582- दीन-ए-इलाही धर्म
- 1583- इलाही संवत् चलाया।
- 1574- अकबर ने सेना में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सैनिकों का हुलिया घोड़ों पर निशान बनवाना प्रारम्भ करवाया।
- 1575 ई.- इबादत खाने की स्थापना
- अकबर ने धार्मिक चर्चा के लिए फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने की स्थापना करवायी।
- जिसमें वह मुस्लिम सम्प्रदाय के विद्वानों से धार्मिक चर्चा करता था।
- 1578 ई. में अकबर ने इसे अन्य धर्मो के लिए भी खोल दिया। तथा हिन्दु, जैन, ईसाई, पारसी धर्म के विद्वान इबादतखाने में चर्चा के लिए आये।
- 1579 ई.- महजर की घोषणा
- मुस्लिम धर्म की व्याख्या का अधिकार उलेमाओं (धर्मगुरू) को प्राप्त था।
- अकबर ने घोषणा कर कहा कि मुस्लिम धर्म की व्याख्या का अन्तिम अधिकार अब बादशाह को प्राप्त होगा इसे ही महजर की घोषणा कहते है।
- उसके इस निर्णय से मुस्लिम समुदाय नाराज हो गया।
- स्मिथ तथा वूल्जले हेग ने महजर की घोषणा का अचूक आज्ञापत्र कहा है।
- दीन-ए-इलाही (तोहीद-ए-इलाही)-
- अकबर ने एक नया धर्म चलाया जिसका लक्ष्य जनकल्याण था।
- इस धर्म में 18 लोग शामिल हुये। एकमात्र हिन्दु बीरबल था।
- स्मिथ में दीन-ए-इलाही को अकबर की मूर्खता का प्रमाण कहा है।
- मनसबदरी व्यवस्था-
- अकबर ने मनसबदारी व्यवस्था प्रारम्भ कीं जिसमें मनसब का अर्थ होता था- पदक्रम/श्रेणी/रैंक
- इस पदक्रम को प्राप्त करने वाले अधिकारी मनसबदार कहलाते थे।
- इन्हें कोई निश्चित राज्यक्षेत्र प्रदान किया जाता था जिसमें भू-राजस्व इकट्ठा करना, सैनिकों को रखना, घुड़सवारों को रखना तथा घोड़ों की व्यवस्था मुख्य दायित्व थे।
- इस व्यवस्था के अन्तर्गत मनसबदारों का स्थानान्तरण संभव था जिससे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण स्थापित किया जा सका।
- सम्पूर्ण मुगलकाल में सरदारों ने 7000 की मनसब मानसिंह तथा मिर्जा अजीज कोका को प्राप्त हुई। जो सर्वाधिक थी।
- मुगल राजकुमारों में सर्वाधिक मनसब दाराशिकोह को प्रदान की गई। जो 40 या 60 हजार थी।
- प्रारम्भिक स्थिति में 10 से 1000 तक मनसब देना निश्चित हुआ था।
- मनसबदारी व्यवस्था में घोड़े व घुडसंवार का अनुपात-
- एक अस्पा- एक घुड़सवार व एक घोड़ा। (अकबर)
- दुह अस्पा- एक घुड़सवार व दो घोड़े। (जहाँगीर)
- सिंह अस्पा- एक घुड़सवार व तीन घोड़े। (जहाँगीर)
- निम्न अस्पा- दो घुड़सवार व एक घोड़ा।
- दहसाला प्रणाली-
- भू- राजस्व निर्धारण की 10 वर्षीय प्रणाली दहसाला कहलाती है।
- अकबर ने सर्वप्रथम कृषि भूमि को चार भागों में बाँटा-
- पोलज- प्रत्येक वर्ष उत्पादन देने वाली भूमि।
- परती- प्रत्येक दो वर्ष में उत्पादन देने वाली भूमि।
- चच्चर/चाचर- तीन या चार वर्ष में एक बार उत्पादन देने वाली भूमि।
- बंजर- पांच या अधिक वर्ष में उत्पादन देने योग्य भूमि।
- मुगलकाल में भू-राजस्व की पद्धतियाँ-
- कनकूत/नश्क/मुक्तई- खड़ी फसल पर उत्पादन का अनुमान लगाने की पद्धति।
- जाब्ती- भूमि की पैमाइश (मसाहत) पर आधारित भू-राजस्व की पद्धति जिसे अकबर ने अपनाया।
- गल्ला-बक्शी- बंटाई की व्यवस्था से सम्बन्धित पद्धति।
- टोडरमल के नेतृत्व में अकबर ने पिछले वर्षो के उत्पादन के औसत को आधार बनाकर भू-राजस्व संगृह करना प्रारम्भ किया।
- साम्राज्य विस्तार-
- 1561 ई. मालवा का आक्रमण-
- साम्राज्य विस्तार के लिए अकबर का प्रथम प्रयास मालवा पर आक्रमण था। जिसमें इन्होंने बाजबहादुर को पराजित किया।
- आधम खां से चरित्र की रक्षा में बाजबहादुर की पत्नी रूपमती ने आत्महत्या कर ली।
- 1562- मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जाते हुये अकबर को आमेर के शासक भारमल ने वैवाहिक सम्बन्धों का प्रस्ताव रखकर अधीनता स्वीकार कर ली।
- 1567-68 चित्तौड़ का आक्रमण- अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण करके उदयसिंह को हराया जिनके दो सेनापतियों जयमल और पत्ता ने मृत्युपर्यन्त संघर्ष किया।
- अकबर ने आगरा महल के बाहर इन वीरों की मूर्तियाँ लगवाई।
- चित्तौड़ आक्रमण के बाद अकबर ने कत्ले-आम करवाया।
- 1570 नागौर दरबार-
- राजपूतों को अधीनता स्वीकार करवाने के लिए नागौर दरबार का आयोजन हुआ।
- जिसमें मेवाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ ने अधीनता स्वीकार नहीं की।
- 1561 ई. मालवा का आक्रमण-
- वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करने वाले राजा-
- आमेर- भारत
- बीकानेर- कल्याणकाल
- जैसलमेर- हरराय
- मारवाड़- मोटा राजा उदयसिंह
- 1572-73 मे महाराणा प्रताप के पास चार राजदूत भेजे गये, किन्तु इन्होंने अधीनता स्वीकार नहीं की।
- जलाल खां कोरची
- मानसिंह
- भगवन्त दास
- टोडरमल
- 1576 हल्दीघाटी युद्ध-
- इस युद्ध को प्रत्यक्षदर्शी बदायुनी ने गोगुन्दा का युद्ध कहा।
- अबुल फजल- खमनौर का युद्ध
- कर्नल जेम्सटॉड- मेवाड़ की थर्मोपल्ली
- दिवेर का युद्ध 1582 ई.-
- महाराणा प्रताप तथा अकबर।
- कर्नल जेम्सटॉड ने इसे मेराथन का युद्ध कहा।
- साम्राज्य विस्तार के लिए अकबर का अन्तिम प्रयास-
- 1601 असीरगढ़ पर किया गया था। जिसे जीतकर अकबर ने असीरगढ़ का नाम धनदेश कर दिया।
- अकबर के नवरत्न-
- 1.बीरबल
- 2. टोडरमल
- 3.अबुल-फजल
- 4. फैजी
- 5.हकीम हुकाम
- 6. रहीम
- 7.मुल्ला-दो प्याजा
- 8. तानसेन
- 9.मानसिंह
- महत्त्वपूर्ण बिन्दु-
- 1.अकबर की धर्मसहिष्णुता की नीति सुलह-ए-कुल की नीति कहलाती है। यह नीति अपनाने वाला वह प्रथम मुगल शासक था।
- 2.अकबर ने सतीप्रथा पर रोक लगाने का प्रयास किया तथा विवाह की न्यूनतम आयु 16 तथा 14 वर्ष निर्धारित की।
- 3.अकबर ने विधवा विवाह को समर्थन दिया।
- 4.अकबर ने शराब व नशीली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाये। तथा गौ हत्या को रूकवा दिया।
- 5.वेश्याओं के लिए अकबर ने शैतानपुरी नाम का अलग नगर बसाया।
- 6.अकबर ने दरबार में व्यापार की अनुमति के लिए राल्फ फिंच नामक अंग्रेज आया था।
- 7.अकबर ने दरबार में होली-दीपावली तथा रक्षाबन्धन के त्यौहार मनाने प्रारम्भ करवाए।
- 8.अकबर ने पायबोसा, झरोखा दर्शन, तुलादान जैसी प्रणालियों को दरबार में लागू किया।
- 9.अकबर ने स्वयं को जिल्ले इलाही कहा।
जहाँगीर (1605-1627)
- जन्म- 1569, बचपन का नाम- सलीम
- जहाँगीर ने 1599 में अकबर के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था तथा स्वयं इलाहाबाद का शासक घोषित कर दिया था।
- अकबर का मकबरा जहाँगीर ने सिकन्दरा (आगरा के पास) बनवाया।
- इसमें किसी गुम्बद का उपयोग नहीं हुआ। तथा स्वतंत्र मीनारों का किसी मुगल मकबरें में पहली बार प्रयोग हुआ है।
- 1605- जहाँगीर के शासन में 1605 में पहली बार पुर्तगालियों ने भारत में तम्बाकू की खेती प्रारम्भ की।
- नोट- 1617 में जहाँगीर ने तम्बाकू की खेती पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
- 1605 शासक बनते ही जहाँगीर ने 12 घोषणाएं करवायी जिन्हें आइन-ए-जहाँगीरी कहते है।
- नशीली वस्तुओं के उत्पादन व उपयोग पर प्रतिबंध
- सभी कैदियों को रिहाई।
- गुरूवार तथा रविवार को पशु वध निषेध।
- 1606 खुसरों का विद्रोह-
- खुसरो ने जहांगीर के विरूद्ध विद्रोह कर दिया। अतः पिता-पुत्र में भेरावल का युद्ध हुआ। जहाँगीर इस युद्ध में जीता था खुसरों को अन्धा करवा दिया।
- सिक्स गुरू अर्जुनदेव को खुसरों की वित्तीय सहायता करने के कारण जहाँगीर ने मृत्युदण्ड दे दिया।
- 1608 हॉकिन्स का आगमन-
- व्यापार की अनुमति के लिए ब्रिटिश व्यापारी हॉकिन्स आगरा दरबार में आया।
- इसे जहाँगीर ने 400 की मनसब प्रदान की। किन्तु व्यापार की अनुमति नहीं दी गयी।
- व्यापार की अनुमति 1613 में प्रदान की गई।
- 1611- जहाँगीर का विवाह नूरजहाँ (महरून्निसा) से हुआ।
- 1612 में खुर्रम का विवाह नूरजहाँ के भाई आसफ खाँ की पुत्री मुमताज (अर्जुनन्द बानो बेगम) से हुआ।
- 1615 मेवाड़ मुगल संधि-
- इस संधि के द्वारा मेवाड़ के शासक अमरसिंह ने जहाँगीर की अधीनता स्वीकार कर ली।
- 1616 ब्रिटिश शासक जेम्स-प्रथम का राजदूत टॉमस रो जहाँगीर के दरबार में मैग्जीन दुर्ग (अजमेर) में आया।
- विलियम फिंच नामक इतिहासकार ने जहाँगीर तथा अनारकली की प्रेमकथा का वर्णन किया है।
- नूरजहाँ-
- नूरजहाँ ने आगरा में अपने पिता एद्मातुद्दौला का मकबरा बनवाया।
- मुगलकाल में संगमरमर का बना हुआ यह प्रथम मकबरा माना जाता है, जिसमें पिट्रा-ड्यूरा शैली का उपयोग प्रथम बार हुआ।
- नूरजहाँ की माता अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र बनने की विधि का आविष्कार किया।
- जहाँगीर ने अकबर की सुलह-ए-कुल की नीति को जारी रखा।
- जहाँगीर का समय मुगलकाल में चित्रकला का स्वर्णकाल कहलाता है।
- जहाँगीर न्यायप्रिय शासक था, अतः उसने न्याय की जंजीर स्थापित करवायी।
- जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा जहाँगीरकथा फारसी भाषा में लिखी। जिसे मोतमिद खाँ ने पूरा किया।
- 1627 में जहाँगीर की मृत्यु हो गई।
- इनका मकबरा नूरजहाँ ने लाहौर में बनवाया।
- मुगलकाल में राजधानियाँ-
- 1526-1571- आगरा/दिल्ली
- 1571-1585- फतेहपुर सीकरी (अकबर)
- 1585-1598- लाहौर (अकबर)
- 1898-1648- आगरा (शाहजहाँ)
- 1648-1857- दिल्ली
शाहजहाँ (1627-1658)
- नाम- खुर्रम जन्म- 1592
- शाहजहाँ का समय मुगलकाल में स्थापत्य का स्वर्णकाल कहलाता है।
- शाहजहाँ ने तीर्थ यात्रा कर पुनः लगाया।
- उसने पायबोसा के स्थान चहार तस्लीम की पद्धति लागू की।
- शाहजहाँ ने इलाही के स्थान पर हिजरी संवत फिर लागू करवाया।
- 1632 ई. में शाहजहाँ ने पुर्तगालियों का दमन किया, क्योंकि ये लोग हुगली क्षेत्र (कलकत्ता) में धर्म परिवर्तन करवाने लगे थे।
- शाहजहाँ ने धर्मपरिवर्तन के लिए अलग विभाग की स्थापना की।
- 1648 ई. में इनके शासनकाल में काबुल व कन्धार के क्षेत्र अन्तिम रूप से भारत से चले गये।
- शाहजहाँ ने मध्य एशिया पर विजय की योजना बनायी किन्तु वह असफल रहा।
- ताजमहल-
- ताजमहल का मुख्य वास्तुकार अहमद लाहौरी था। जिसे शाहजहाँद्द ने नादिर-उल-असरार की उपाधि प्रदान की।
- ताजमहल का मुख्य मिस्त्री उस्ताद ईसा खाँ था।
- तख्त-ए-ताऊस/मयूर सिंहासन-
- शाहजहाँ ने मयूर सिंहासन का निर्माण करवाया जिसका मुख्य वास्तुकार बेबादल खाँ था।
- मयूर सिंहासन में शाहजहाँ ने कोहिनूर हीरा जडवाया जो उसे गोलकुण्डा के वजीर मीर जुमला से प्राप्त हुआ था।
- दारा-शिकोह-
- इसने योग वशिष्ठ तथा भगवद् गीता का फारसी में अनुवाद किया।
- दाराशिकोह ने 52 उपनिषदों का फारसी अनुवाद सिर्र-ए-अकबर नाम से किया।
- लेनपूल ने दाराशिकोह का लघु अकबर कहा है।
- शाहजहाँ का स्वास्थ्य खराब होने पर मुराद ने स्वयं को गुजरात का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया।
- जबकि शाहशुजा ने बंगाल में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
- बहादुरगढ़ 1658- (उत्तरप्रदेश)
- इस युद्ध में शाहीसेना ने शाहशुजा को पराजित किया।
- शाहीसेना का नेतृत्व मिर्जा राजा जयसिंह सहित कुछ महत्त्वपूर्ण सेनानायकों के हाथ में था।
- धरमत का युद्ध 1658- मध्यप्रदेश
- औरंगजेब ने मुराद के साथ मिलकर इस युद्ध में शाहीसेना को पराजित किया।
- इस युद्ध में शाही सेना का नेतृत्व जसवन्त सिंह और कामिस खां ने किया।
- सामूगढ- 1658- उत्तरप्रदेश
- इस युद्ध को निर्णायक युद्ध कहते है।
- सामूगढ़ के युद्ध में औरंगजेब तथा मुराद की सेना ने दाराशिकोह के नेतृत्व वाली शाही सेना को पराजित किया।
- इस युद्ध के बाद शाहजहाँ को आगरा में कैद कर लिया गया।
- औरंगजेब ने दिल्ली में अपना राज्याभिषेक करवाया।
- मुराद को ग्वालियर के किले में भेजकर उसकी हत्या करवा दी गई।
- खजुआ का युद्ध 1659 – उत्तरप्रदेश
- इस युद्ध में औरंगजेब ने शाहशुजा को पराजित किया। शाहशुजा बर्मा भाग गया।
- दौराई/देवराई का युद्ध 1659- अजमेर
- यह उत्तराधिकार का अन्तिम युद्ध था। जिसमें औरंगजेब ने दाराशिकोह को पराजित किया। उसे कैद करवा लिया गया तथा मृत्युदण्ड दे दिया गया।
- फ्रांसिसी चिकित्सक बर्नियर इस मृत्युदण्ड का साक्षी था।
औरंगजेब (1658-1707 ई.)
- 1659 में औरंगजेब ने अपना दूसरा राज्यभिषेक में करवाया।
- उसने आलमगीर तथा गाजी की उपाधियाँ धारण की।
- औरंगजेब वीणा बजाने में कुशल था। किन्तु उसने दरबार में संगीत पर रोक लगा दी।
- औरंगजेब बाबर के समान नक्शबंदी सिलसिले का अनुयायी था।
- औरंगजेब ने झरोखा दर्शन तथा तुलादान की प्रक्रियाओं को रूकवा दिया।
- उसने दरबार में होली-दीवाली जैसे त्यौहार मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया।
- औरंगजेब ने शिवाजी के विरूद्ध शाइस्ता खाँ को 1663 में दक्षिणी क्षेत्र का सूबेदार (राज्यपाल) बनाया।
- शिवाजी ने शाइस्ता खाँ के पूना के महलों पर आक्रमण कर दिया तथा शाइस्ता खाँ मुश्किल से बच पाये।
- 1665 ई. में औरंगजेब ने शिवाजी के विरूद्ध मिर्जा राजा जयसिंह को भेजा।
- जयसिंह ने शिवाजी को पराजित किया तथा पुरन्दर की संधि के लिए बाध्य किया।
- इस संधि के द्वारा शिवाजी को 35 में से 23 किले मुगलों को लौटाने पड़े।
- राजा की उपाधि शिवाजी को औरंगजेब ने दी।
- 1679 ई. में औरंगजेब ने भारत में फिर से जजिया कर लगाया।
- 1679 ई. में औरंगजेब ने अपनी पत्नी रबिया उद दौरानी का मकबरा बनवाया। इसे बीबी का मकबरा कहा जाता है।
- इसे दक्षिण का ताजमहल भी कहा जाता है।
- कुछ इतिहासकार इसे ताजमहल की कुरूप अनुकृति मानते है।
- औरंगजेब के समय में हिन्दु मनसबदारों की संख्या सर्वाधिक 33 थी।
- औरंगजेब ने दक्षिण भारत में मुख्य केन्द्र औरंगाबाद को बनाया।
- औरंगजेब कट्टर मुसलमान था, जिसने अनेक हिन्दु मन्दिरों को तुड़वाया।
- औरंगजेब ने सिक्ख गुरु तेगबहादुर को मृत्युदंड दिया।
- औरंगजेब का अन्तिम समय दक्षिणी भारत में बीता। जहाँ पर इसने बीजापुर और गोलकुण्डा पर विजय प्राप्त की थी।
- औरंगजेब की मृत्यु 1707 ई. में हुई। इस वर्ष को मध्यकालीन भारतीय इतिहास का समाप्ति वर्ष माना जाता है।
- औरंगजेब का मकबरा दक्षिण में दौलताबाद के पास खुल्दाबाद में है।
बहादुरशाह-I (1707-1712 ई.)-
- सिक्खों के विरोध के कारण इसे अपना जीवन खोना पड़ा।
- बन्दा बहादुर के नेतृत्व में सिक्ख सेना ने इन्हें पराजित करके इनकी हत्या कर दी।
- सिडनी ओवन के अनुसार यह अन्तिम मुगल बादशाह था जिसके सम्बन्ध में कुछ अच्छे शब्द कहे जा सकते है। खफी खाँ ने इन्हे शाह-ए-बेखबर कहा।
जहाँदारशाह (1712-1713 ई.)-
- जहाँदारशाह के समय में सैयद बन्धुओं (अब्दुल्ला खाँ तथा हुसैन खाँ) का महत्व बढ़ गया। इसका काल संगीत का स्वर्णकाल कहलाता है।
- 1739- ईरान के शासक नादिर शाह ने इन्हें करनाल के युद्ध में हराया। तथा कोहिनूर हीरा अपने साथ ले गये।
अहमदशाह (1748-1754 ई.)-
आलमगीर-II (1754-1759 ई.)-
शाह आलम-II (1759-1806 ई.)-
- अहमदशाह अब्दाली व मराठों के मध्य 1761 में पानीपत का तीसरा युद्ध इनके समय में हुआ।
- शाहआलम-II 12 वर्षो तक अपनी राजधानी दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पाया।
- इसे अन्धा करवा दिया गया था।
- इन्हें भारतीय इतिहास में किंग मेकर/शासक निर्माता कहते है।
- इसे लम्पट मूर्ख कहा जाता है।
- सैयद बन्धुओं ने इसे पद से हटाकर फर्रूखसियर को नया शासक बनाया।
फर्रूखसियर (1713-1719 ई.)-
- फर्रूखसियर को इतिहास में घृणित कायर कहा जाता है।
- सैयद बन्धुओं ने इसकी हत्या कर दी।
रफी-उद-दर-जात (1719 ई.)-
- मुगलकाल में सबसे कम समय तक शासन करने वाला मुगल शासक।
- रफी-उद-दौला (1719 ई.)- शाहजहाँ द्वितीय की उपाधि धारण की।
- मोहम्मद शाह रंगीला (1719-1748 ई.)- 1720 ई. में जजिया कर स्थायी रूप से हटा दिया।
अकबर द्वितीय (1806-1837 ई.)-
- अंग्रेजों का संरक्षण प्राप्त करने वाला प्रथम मुगल बादशाह।
- राजाराम मोहनराय को राजा की उपाधि देने वाला शासक।
बहादुरशाह द्वितीय (1837-1857 ई.)-
- अन्तिम मुगल बादशाह जिसने 1857 ई. की क्रांति का नेतृत्व किया।
- क्रांति के बाद इन्हें निर्वासित करके रंगून भेज दिया गया।
शेरशाह सूरी (1540-1545 ई.)-
- मुगलों की ओर से 1528 ई. में चन्देरी का युद्ध लड़ा जिसके बाद बंगाल बिहार क्षेत्र में चला गया।
- यहाँ के शासक बहार खाँ लोहानी ने फरीद को शेरखाँ की उपाधि दी थी।
- 1539 ई. में चौसा का युद्ध तथा 1540 में कन्नौज का युद्ध जीतकर भारत की केन्द्रीय सत्ता पर नियंत्रण किया।
- शेरशाह ने ग्रांड ट्रंक रोड़ का आधार स्थापित किया।
- शेरशाह ने चाँदी का रूपया तथा ताँबे का दाम नाकम सिक्के चलाये।
- शेरशाह सूरी ने अपने शासन के अन्तर्गत 1700 सरायों का निर्माण करवाया। जो डाक को भी संचालित करती थी।
- डॉ. कानूनगों ने शेरशाह द्वारा स्थापित सरायो को साम्राज्य रूपी शरीर में धमनियों के समान कहा है।
- शेरशाह ने भूमी की पैमाइश करवाकर इसे तीन वर्गो में बांटा।
- उत्तम
- मध्यम
- निम्न
- शेरशाह के शासनकाल में भू-राजस्व की दर 1/3 थी। परन्तु मुल्तान क्षेत्र में उसने इसे 1/4 कर दिया।
- शेरशाह ने उसके अलावा 2 कर और प्राप्त किये-
- जरीबाना- भूमि की पैमाइश के बदले प्राप्त किया जाने वाला कर। (2.5%)
- महासिलाना- भू-राजस्व संग्रह करने में हुये परिश्रम के बले प्राप्त किये जाने वाला कर। (5%)
- शेरशाह ने पंजाब क्षेत्र में रोहतासगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया। उसने दिल्ली में शेरगढ़ नामक दुर्ग बनवाया।
- शेरशाह ने सासाराम (बिहार) में अपना मकबरा स्वयं बनवाया।
- शेरशाह तथा उसके पुत्र इस्लाम शाह ने युग के खलीफा की उपाधि धारण की।
- 1544 ई. में शेरशाह ने मारवाड़ पर आक्रमण किया तथा गिरि सुमेल या जैतारण पाली के युद्ध में मालदेव को पराजित किया। उसने कहा ‘‘मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।‘‘
- 1545 ई. में कालिंजर उत्तरप्रदेश पर आक्रमण के समय उनका नामक प्रक्षेपास्त्र चलाये हुये शेरशाह की मृत्यु हो गयी।
मुगल प्रशासन
- प्रशासनिक इकाईयाँ
- देश- बादशाह
- सूबा (प्रानत)- सूबेदार
- सरकार (जिला)- फौजदार
- शिक/परगना (तहसील)- शिकदार
- मौजा (गांव)- खूत/मुकद्दम/चौधरी
- मुगलकाल में प्रशासनिक अधिकारी-
- वजीर/वकील- प्रधानमंत्री का पद जिसके महत्व को हटाकर अकबर ने वित्तीय शक्तियाँ दीवान-ए-कुल को प्रदान कर दी।
- दीवान-ए-कुल- मुगलकाल राजकीय वित्त से सम्बन्धित मुख्य अधिकारी (वित्तमंत्री)
- मीर बक्शी- सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी मीरबक्शी कहलाता था। यह मुख्य सेनापति नहीं था, यह कार्य बादशाह के द्वारा सम्पादित किया जाता था।
- मीर सामाँ/खाने सामाँ- महलों की सुरक्षा तथा सम्पूर्ण व्यवस्था को निश्चित करने वाला अधिकारी।
- काजी-उस-सुदूर- मुगलकाल के केन्द्रीय न्यायाधीश काजी-उल-कुजात कहलाता है।
- सद्र-उस-सुदूर- धर्म तथा दान विभाग का प्रमुख अधिकारीं
- मुहतसिब- औरंगजेब ने अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए मुहतसिब नामक पदाधिकारी की नियुक्ति की।
- मीर-आतिश- तोपखाने का प्रमुख अधिकारी।
मुगलकाल में सिक्के
- सोने के सिक्के-
- मुहर- मुगलकाल सर्वाधिक प्रचलित सोने का सिक्का जो अकबर ने चलाया।
- शंसब- अकबर द्वारा चलाया गया सोने का सिक्का जो सबसे बड़ा था।
- इलाही- अकबर द्वारा संचालित सोने का सिक्का।
- चाँदी के सिक्के-
- जलाली- अकबर द्वारा संचालित चाँदी का सिक्का।
- निसार- जहाँगीर द्वारा चलाया गया चाँदी का सिक्का।
- नोट- शाहजहाँ ने आना नामक सिक्का चलाया था।
- अकबर ने मुगल काल में राम-सिया प्रकार के सिक्के चलाये।
- जहाँगीर पहला शासक था जिसने सिक्कों पर अपना चित्र अंकित करवाया।
मुगलकाल मेें चित्रकला-
- मुगलकाल में चित्रकला का प्रारम्भ बाबर के समय से माना जाता है। जबकि जहाँगीर का काल चित्रकला का स्वर्णकाल कहलाता है।
- नोट- अकबर ने कहा कि जो लोग चित्रकला से नफरत करते है वे सम्मान योग्य नहीं है।
- मुगलकाल में चित्रकला का प्रारम्भिक चित्र संकलन हम्जानामा में दिखाई देता है। यह एक चित्र ग्रन्थ है।
बाबर के समय में-
- बिहजाद- इसे पूर्व का राफेल कहा जाता है।
हुमायूं के समय में-
- मीर सैयद अली और अब्दुस्समद
अकबर के समय में-
- मीर सैयद अली और अब्दुस्समद,
- बसावन- अकबर के समय का सर्वश्रेष्ठ चित्रकार जिसने निर्जन वन में भटकते हुये कृशकाय मजनू का चित्र बनाया।
जहाँगीर के समय में-
- उस्ताद मन्सूर- पशु पक्षी तथा प्रकृति चित्रण से संबंधित श्रेष्ठ चित्रकार जिसे जहाँगीर ने नादिर उल अस्र की उपाधि प्रदान की।
- प्रमुख चित्र- 1. बाज पक्षी का चित्र 2. साइबेरियन सारस का चित्र 3. बंगाल के पुष्प का चित्र
- अबुल हसन- ये व्यक्ति चित्र बनाने में सिद्ध-हस्त था। इसे जहाँगीर ने नादिर-उल-जमा की उपाधि प्रदान की थी।
- जहाँगीरनामा के मुखपृष्ठ के लिए जहाँगीर का चित्र अबुल हसन ने बनाया।
- बिसनदास- बिसनदास व्यक्ति चित्र बनाने के लिए प्रसिद्ध थे। इन्हें फारस के शाह तथा उनके परिवार का चित्र बनाने के लिए विदेश भेजा गया।
- मनोहर- जहाँगीर के समय के श्रेष्ठ चित्रकार जिनका नाम जहाँगीरनामा में प्राप्त नहीं होता है।
मुगलकाल में साहित्य-
- इकबालनामा-ए-जहाँगीरी- मोतमिद खाँ
- मुन्तखब-उत्-तवारीख-बदायूनी
- मुन्तखब-उत् लुबाब- खफी खाँ
- अकबरनामा- अबुलफजल
- पादशाहनामा- हमीद लाहौरी
- पादशाहनामा- कजवीनी
- पादशाहनामा- वारिस
- शाहजहाँनामा- इनायत खाँ
- शाहजहाँनामा- सादिक खाँ
- तारीख-ए-शेरशाही- अब्बास खाँ सरवानी
- आलमगीरनामा- शीराजी
- आलमगीरनामा- हातिम खाँ
- आलमगीरनामा- काजिम
- नुस्खाँ-ए-दिलकुशा- भीमसेन जोशी
- फुतुहात-ए-आलमगीरी- ईश्वरदास
- तारीख-ए-दाउदी- अब्दुल्ला
महत्त्वपूर्ण बिन्दु-
- अकबर के शासन में अनुवाद विभाग की स्थापना की गई जिसका अध्यक्ष फैजी को बनाया गया।
- अकबर के समय में महाभारत का फारसी भाषा में अनुवाद रज्मनामा नाम से हुआ।
मुगलकाल में स्थापत्य कला
- अकबर द्वारा बनवाये गये किले-
- अटक का किला (पाकिस्तान)
- अजमेर का मैंगजीन दुर्ग
- इलाहाबाद का किला
- लाहौर का किला
- आगरा का लाल किला
- फतेहपुर सीकरी की इमारतें-
- बीरबल का महल
- जोधाबाई का महल
- तुर्की सुल्ताना का महल
- मरियम का महल
- पंचमहल (पिरामिडनुमा संरचना)
- दीवान-ए-खास
- दीवान-ए-आम
- सलीम चिश्ती का मकबरा
- बुलन्द दरवाजा (गुजरात विजय के उपलक्ष्य में)
- शाहजहाँ-
- दिल्ली की इमारतें-
- दिल्ली का लालकिला (हमीद-अहमद-वास्तुकार)
- दीवान-ए-खास
- दीवान-ए-आम
- जामा मस्जिद (भारत की सबसे बड़ी मस्जिद)
- आगरा की इमारतें-
- मोती मस्जिद
- दीवान-ए-खास
- दीवान-ए-आम
- दिल्ली की इमारतें-
- औरंगजेब
- मोती मस्जिद- दिल्ली
मुगल शासन के आये विदेशी-
- ट्रेवनियर- फ्रांसिसी यात्री जो 6 बार भारत आया। यह एक जौहरी था। जिसने मुगलकाल का आर्थिक इतिहास लिखा।
- बर्नियर- यह पेशे से चिकित्सक था जो फ्रांस से आया था। उत्तराधिकार के युद्धों, यह दाराशिकोह के मृत्युदण्ड तथा पुरन्दर की सन्धि का साक्षी था।
- पीटर मुण्डी- इटली का यात्री जिसने शाहजहाँ के समय दक्षिण भारत में पडे़ अकाल का विस्तृत वर्णन किया है।
- मनूसी- यह भी इटली का निवासी था। जो दाराशिकोह की सेना में तोपची था। दाराशिकोह की मृत्यु के बाद चिकित्सक का कार्य किया। पुस्तक- स्टोरियो डी मोगोर।
महत्त्वपूर्ण तथ्य-
- जहाँगीर के समय में अलतमगा जागीर देना प्रारम्भ किया गया जो धार्मिक व्यक्तियों को प्रदान की जाती थी।
- ददनी- कारीगरों को दिया जाने वाला अग्रिम भुगतान।
- राजा के पास संरक्षित भूमी खालसा भूमि कहलाती थी।
- मुगलकाल में नील की खेती मुख्य रूप से बयाना (भरतपुर) तथा सरखेज (गुजरात) में की जाती थी।