Jal Sthapatya Kala | History of Rajasthan

0
315
Chand Bawdi

जल स्थापत्य कला – राजस्थान की प्रसिद्ध बावड़ियां

राजस्थान एक मरू प्रदेश की श्रेणी में आता है यहां के जल स्त्रोत, कुएं, कुण्ड, बावडियों टांके जल स्थापत्य कला में अपनी अलग ही पहचान रखते है। इनका इतिहास और सौन्द्रर्य अनुपम एवं अनूठा है।

दौसा Dausa

  • चाँद बावडी (Chand Bawdi)- साबी नदी के पास स्थित इस बावड़ी का निर्माण 8वीं सदी में प्रतिहार शासक निकुंभ चाँद द्वारा करवाया था। यह आभानेरी बावड़ी के नाम से भी जानी जाती है।
  • आलूदा का बुबानिया कुण्ड- आलूदा गाँव की ऐतिहासिक बावड़ी में बना कुण्ड बुबानिया (बहली) के आकार का।
  • मांगरेज की बड़ी बावड़ी- पाँच मंजिला बावड़ी का निर्माण यहां के शासक दीपसिंह कुम्भाणी और दौलतसिंह कुम्भाणी द्वारा करवाया गया था। यह बावड़ी गुप्त सुरंग द्वारा भांडारेज के गढ़ से जुड़ी हुई है।
  • भाण्डारेज की बावड़िया- भाण्डारोज गाँव में स्थित।

डूँगरपुर – Dungarpur

  • नौलखा बावडी- डूंगरपुर के महारावल आसकरण की पत्नि प्रेमल देवी द्वारा निर्मित।
  • डेसा गाँव की बावड़ी- 23 अक्टूबर 1396 ई. में डूँगरसिंह के पुत्र रावल कर्मसिंह की रानी माणक दे ने बनवाई थी।
  • केला बावड़ी- महारावल जसवंत सिंह की राठौड़ रानी गुमान कुँवरी द्वारा निर्मित।

झुंझुनू – Jhunjhunu

  • शम्स तालाब- नवाब शम्सखाँ द्वारा निर्मित।
  • भूत बावड़ी- सार्दुलसिंह की मेड़तनी रानी द्वारा निर्मित।
  • चेतनदास की बावड़ी- लोहार्गत तीर्थस्थन पर बनी हुई।
  • अन्य- मेड़तनी बावड़ी, खेतानों की बावड़ी, तुलस्यानों की बावड़ी, नवलगढ़ की बावड़ी, बिरदी का कुआँ आदि।

बूँदी (बावड़ियों के शहर) – Bundi

  • रानीजी की बावडी- यहां के शासक अनिरूद्ध सिंह की विधवा रानी नातावनजी (नाथावतनीजी) ने 1699 ई. में इसका निर्माण करवाया था।
  • अनारकली की बावडी (Anarkali ki Bawdi)- छत्रपुरा क्षेत्र में स्थित रानी नाथावती की दासी अनारकली द्वारा निर्मित।
  • गंगासागर-यमुनासागर कुण्ड- 1885 ई. में चैगान दरवाजे के पास स्थित राव राजा रामसिंह की रानी चन्द्रभान कँवर द्वारा निर्मित। इसे नागर-सागर कुण्ड भी कहते है।
  • धाभाइयों का कुंड- 19वीं सदी में लंका गेट के पास स्थित रावराजा रामसिंह के समय का निर्मित कुण्ड।
  • अन्य- गुल्ला की बावडी, श्याम बावडी, व्यास जी की बावडी, चम्पाबाग की बावडी, कालाजी बावड़ी, नारूजी की बावड़ी व पठान की बावड़ी आदि।

जयपुर – Jaipur

  • झिर की बावड़ी- झिर गाँव में स्थित तीन मंजिला बावड़ी का निर्माण बाँसखों के सामन्त बुधसिंह कुम्भाणी ने करवाया था।
  • पन्ना मीणा की बावड़ी- आमेर में स्थित, 17वीं शताब्दी में मिर्जा राजा जयसिंह के काल में निर्मित।

बाराँ – Baran

  • बड़गाँव की बावड़ी- बड़गाँव, अंता (बाराँ) में स्थित इस बावड़ी का निर्माण कोटा रियासत के शासक शत्रुसाल की पटरानी जादौण ने करवाया था।
  • औस्तीजी की बावड़ी, तपसी की बावड़ी- शाहबाद कस्बा, बाराँ

जोधपुर – Jhodhpur

  • तापी बावडी- भीमजी का मोहल्ला व हटड़ियों के चैक के मध्य स्थित बावड़ी।
  • अनाराबेगम बावडी- जोधपुर के महाराजा गजसिंह की मुस्लिम पासवान अनारा बेगम द्वारा निर्मित।
  • अन्य- देव कुण्ड, हाथी बावडी, नैणसी बावडी आदि।

चितौडगढ – Chittorgarh

  • वीनौता की बावड़ी- सादड़ी तहसील में स्थित जागीरदार सूरजसिंह शक्तावत द्वारा निर्मित।
  • गगरार बावड़ी- लगभग 600 वर्ष पुरानी
  • घौसुण्डी बावड़ी (Ghosundi Bawdi)– मेवाड़ के महाराणा रायमल की रानी श्रृंगार देवी द्वारा निर्मित।

बाड़मेर – Barmer

  • बाटाडू का कुआं (Batadu ka Kua) – बाड़मेर की बायतु पंचायत समिति में स्थित संगमरमर से निर्मित भव्य कुआं। इसे ‘‘रेगिस्तान का जलमहल‘‘ नाम से भी जाना जाता है।

सिरोही – Sirohi

  • लाहिणी बावड़ी- बसंतगढ़ में स्थित बावड़ी का निर्माण परमारों की रानी लाहिणी ने करवाया था।
  • दूध बावड़ी (Dudh Bawdi)- अर्बुदा देवी के मंदिर की तलहटी पर स्थित।
  • अन्य- मृगा बावड़ी।

टोंक – Tonk

  • हाड़ा रानी की बावड़ी- टोडारायसिंह में स्थित। इस बावड़ी की सीढ़ियाँ आभानेरी की चाँद बावड़ी की तरह आकर्षक है।
  • सरड़ा रानी की बावड़ी- टोडारायसिंह में स्थित कलात्मक बावड़ी।

भीलवाडाBhilwara

  • सीतारामजी की बावड़ी- इस बावड़ी में एक गुफा है जिसमें बैठकर रामस्नेही सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वामी रामचरणजी ने 36 हजार पदों की रचना की थी।
  • चमना बावडी- शाहपुर में स्थित इस तिमंजिला बावडी का निर्माण वि.सं. 1800 में महाराजा उम्मेद सिंह प्रथम ने चमना नाम की एक गणिका के लिए करवाया था।
  • अन्य- बनेड़ा की चोखी बावड़ी, बाईराज की बावड़ी।

बीकानेर – Bikaner

  • अलखसागर कुआँ- अलखगिरि मतानुयायी लक्ष्छीराम द्वारा निर्मित। यह आठ तीवण का कुआँ है।
  • अन्य- अनोपसागर कुआँ

अलवर – Alwar

  • नीमराणा बावड़ी- इस बावड़ी का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था। यह बावड़ी नौ मंजिला है।

उदयपुर – Udaipur

  • त्रिमुखी बावडी- मेवाड़ के महाराणा राजसिंह की रानी रामरसदे द्वारा निर्मित।

नागौर – Nagaur

  • चुंटीसरा में सांईजी का टांका

बाँसवाड़ा – Banswara

  • नागेला तालाब

करौली – Karauli

  • शाही कुण्ड- तीन मंजिला बावड़ी।

कोटा – Kota

  • भीतरिया कुण्ड

धौलपुर – Dholpur

  • लम्बी बावड़ी

प्रतापगढ – Pratapgarh

  • प्रतापबाव बावड़ी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here