गुर्जर प्रतिहार – Gurjar Pratihar Rajvansh
गुर्जर-प्रतिहार- आबु पर्वत पर वशिष्ठ ऋषि के यज्ञ से चार राजपूत जातियों की उत्पत्ति मानी गयी है-
- प्रतिहार (गुर्जर)
- परमार (पंवार)
- चालुक्य (सोलंकी)
- चौहान (चाहमान)
कुछ अन्य प्रमाण गुर्जर प्रतिहारों को विदेशी जाति सिद्ध करते है।
गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक (Pratihar Vansh Ke Shasak)-
प्रतिहार वंश के शासक | शासन काल |
नागभट्ट-I | 730-760 ई. |
देवराज | 760-780 ई. |
वत्सराज | 783-800 ई. |
नागभट्ट-II | 800-833 ई. |
रामभद्र | 833-836 ई. |
मिहिरभोज / भोज-I | 836-885 ई. |
महेन्द्रपाल-I | 885-910 ई. |
भोज-II | 910-913 ई. |
महिपाल-I | 912-943 ई. |
महेन्द्रपाल-II | 943-948 ई. |
देवपाल | 948-954 ई. |
विनायकपाल | 954-955 ई. |
महिपाल-II | 955-956 ई. |
विजयपाल-II | 956-960 ई. |
राजपाल | 960-1018 ई. |
त्रिलोचनपाल | 1018-1027 ई. |
यशपाल | 1024-1036 ई. |
- गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक (Gurjar Pratihar Vansh Ka Sansthapak)- हरिशचन्द्र
- प्रारम्भिक राजधानी- मण्डोर
- अन्य शाखा- भीनमाल, जालौर
- राजधानी परिवर्तन- उज्जैन
नागभट्ट-I
- ग्वालियर प्रशस्ति में म्लेच्छो का नाशक कहा गया है। माना जाता है कि इसने अरब आक्रमणों का दमन करके अरबों को पराजित किया था।
- नागभट्ट-I के बाद कक्कुक व देवराज ने शासन किया।
वत्सराज (783 ई.-800 ई.)
- वत्सराज को त्रिपक्षीय संघर्ष को प्रारम्भ करने वाला माना जाता है।
- इसने मुंगेर के युद्ध में पाल शासक धर्मपाल को हराया।
नागभट्ट-II (800ई.-833 ई.)
- इसने धर्मपाल को हराकर मुंगेर छीन लिया।
- इसने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया।
रामभद्र (833 ई.-836 ई.)
- नागभट्ट-II के जल समाधि लेने के पश्चात् 833 ई. में रामभद्र राजा बना।
मिहिर भोज (836 ई.-885 ई.)
- यह वैष्णव सम्प्रदाय का अनुयायी था।
- इसने आदिवराह तथा प्रभास की उपाधियाँ धारण की।
- वराह द्रम्म नामक चाँदी का सिक्का चलाया।
- यह एक श्रेष्ठ यौद्धा था किन्तु पाल शासक देवपाल एवं राष्ट्रकूट शासक धु्रव से पराजित हुआ।
- अरब यात्री सुलेमान दरबार में आया।
महेन्द्रपाल (885 ई.-910 ई.)
- इनके शासनकाल में संस्कृत के श्रेष्ठ रचनाकार राजशेखर दरबार में थे।
- राजशेखर की रचनाऐं- बाल रामायण, बाल भारत, विद्वशाल मंजरी, हर विजय, भुवनकोश, कर्पूर मंजरी।
नोट- कर्पूर मंजरी प्राकृत भाषा में है, शेष संस्कृत में है।
महिपाल-I (912 ई.-943 ई.)
- इसके समय में बगदाद का अलमसूदी नामक यात्री दरबार में आया।
Gurjar Pratihar Vansh Ka Antim Shasak यशपाल था।