- सिरावण – ग्रामीण क्षेत्रों मे सुबह का नाश्ता जो प्रायः पिछली शाम का बचा हुआ भोजन होता है
- भात/रोट/दोपेर्या – ग्रामीण क्षेत्रों मे मध्याह्न का भोजन जिसके अंतर्गत प्रायः जौ, बाजरा अथवा मक्के की रोटी तथा मिर्ची, छाछ, दही व हरी सब्जी होती है।
- ब्यालू एवं कलेवा – ग्रामीण क्षेत्रों मे शाम के भोजन को ब्यालू एवं सुबह के भोजन को कलेवा कहते है
- सीरा/लापसी – गेहूं के आटे को घी मे भूनकर व गुड या चीनी मिलाकर बनाया जाता है
- राब/राबडी – मक्के या बाजरे के आटे मे छाछ मिलाकर बनाया जाने वाला पेय पदार्थ।
- सोगरा – बाजरे के आटे से बनी मोटी जो आकरी सेकी जाती है उसे सोगरा कहते है
- टिक्कड – गेहूं/मक्के के आटे से बनी मोटी रोटी जो आकरी सेकी जाती है उसे टिक्कड/टुक्कड कहते हे
- खीच/खीचडो – यह कूटे हुए बाजरे को मोठ के साथ उचित अनुपात मे मिलाकर पानी मे गाढा-गाढा पकाया जाता है
- घाट – मक्का या बाजरे का मोटा आटा जो पानी या छाछ मे पकाया जाता है।
- खाटा/कडी – बेसन को छाछ मे मिलाकर बनाई गई सब्जी।
- चीलडा – मोठ के आटे मे नमक, मिर्च, जीरा, धनिया आदि मिलाकर रोटीनुमा व्यंजन।
- लपटा/मीठी राब या गलवान्या – गेंहू या बाजरे के आटे को घी मे सेककर पानी मे गुड के साथ उबाल कर बनाया गया पेय। किसान वर्षा होने के बाद जब पहली बार हल जोतता है तब यह बनाया जाता है
- धानी – मिट्टी को गर्म करके उसमे सिके हुए जौ के दाने।
- भूंगड़ा – गर्म मिट्टी मे सिके हुए चने।
- सत्तु – ग्रामीण क्षेत्रों मे धानी के आटे को सुबह के समय पानी मे चीनी के साथ मिलाकर बनाया गया पेय पदार्थ।
- निरामिष भोजन – शाकाहारी भोजन जिसमे मक्का, गेहंू, ज्वार की रोटी, दाले, हरी सब्जी, ककडी, टमाटर, पालक, घी, तेल, दूध, दही इत्यादि आते है
- आमिष भोजन – मांसाहारी व्यंजन व पुलाव जिसमे कोरमा, कोफ्ता, कबाब आदि आते है
- नुक्ति – बेसन के छोटे-छोटे दानों को चीनी की चासनी पिलाकर बनाये गये दाने।
- पुए/गुलगुले – गेहूं के आटे मे चीनी या गुड मिलाकर गाढा पतला घोल करके तेल मे तलकर बनाये गये छोटे-छोटे अनियमित गोल से आकार के टुकडे।
- शक्करपारे – गेहूं के आटे मे चीनी या गुड मिलाकर तिकोने चतुर्भुजाकार टुकडे जिन्हें तेल मे तलकर बनाया जाता है
- चक्की – बेसन के आटे से बनी बर्फी ग्रामीण क्षेत्रों मे चक्की कहलाती है
- घुघरी – चने व गेहूं को पानी मे उबाल कर बनाया गया व्यंजन जो कि प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों मे लडकी पैदा होने पर बनाई जाती है
- कांज्या – गाजर के छोटे-छोटे टुकडों को उबाल कर नमक मिर्च व मसाले लगार बनाई गई सब्जी रूपी पदार्थ।
- बटल्या – गेहूं के आटे के लोए बनाकर प्रायः सर्दियों मे दाल के साथ उबाले जाते है
- बरिया – मोठ या चने को पानी मे उबाल कर नमक मिर्च व मसाले मिलाकर बनाया गया व्यंजन।
- पंचकुटा – केर, काचरी आदि पांच अलग-अलग फलों का मिश्रण जिससे स्वादिष्ट सब्जी बनती है।
- पंजीरी – धनिये को पीस कर उसमे बूरे को मिलाकर (पीसी हुई चीनी) बनाया गया स्वादिष्ट मिश्रण। यह राजस्थान मे प्रायः कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रसाद के रूप मे बांटी जाती है
- दुनी – मेदे का हलवा जिसमे मेदा की तुलना मे दुगुना घी डाला जाता है
- दाल-बाटी-चूरमा – राजस्थान क प्रसिद्ध भोजन जो कि सवामणियों मे प्रायः बनाया जाता है
राजस्थान के अन्य विशेष व्यंजन
व्यंजन | स्थान |
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कचोरा | नसीराबाद |
मावा बाटी | बांसवाडा, डूंगरपुर |
मिर्ची वडा | जोधपुर |
कचौरी | कोटा |
पेडे | सरदार शहर |
मावे की मिठाई | अलवर |
रसगुल्ले | बीकानेर |
दूध के लड्डू | जोधपुर |
भुजिया/नमकीन | बीकानेर |
फिनी | सांभर |
मावे की कचोरी | जोधपुर |
जलेबी | अजमेर |
कत-बाफला | हाडौती |
घेवर | जयपुर |
मावे के मालपुए | पुष्कर (अजमेर) |
कैर-सांगरी की सब्जी | शेखावटी क्षेत्र |
सत्तू | खाटू श्यामजी |
सोहन पपडी | अजमेर |
तिलपट्टी | ब्यावर |
बाजरी की रोटी | नागौर |
लंबे गुलाब जामुन | शाहपुरा (भीलवाडा) |
मक्खन बडा (बनेठा) | दौसा |
चमचम | बीकानेर |
खीर-मालपुआ | गोनेर (जयपुर) |
गुडधानी | जयपुर |