Introduction
प्रस्तुत निबन्ध प्राचीनकाल से आज तक के नेपाल तथा इसके निवासियों के इतिहास का विवरण है। यह देश संसार में दुनिया की छत के नाम से जाना जाता है। नेपाल कला एवं संस्कृति के भव्य विकास के साथ एक रंगीन सभ्यता का प्रदर्शन करता है । यह आध्यात्मिक देश माउन्ट एवरेस्ट से गंगा नदी के समतल मैदान तक फैला हुआ है जिसमें सम्मिलित हैं अनुपम मानव संस्कृति एवं प्राकृतिक स्थल।
नेपाल का इतिहास : History of Nepal
नेपाल का इतिहास बहुत पुराना है । इसका नाम सातवीं सदी के चीनी यात्री ह्वेनसांग से सम्बन्धित है । अपनी यात्रा के दौरान जो कुछ उसने ‘नि-पो-ला’ की भूमि के बारे में सुना उसे लिख दिया ।
फिर भी 18वीं सदी तक वर्तमान राज्य का इतिहास काठमांडू घाटी पर ही केन्द्रित रहा । घाटी का प्रारम्भ प्रागैतिहासिक काल में ही हो गया था । एक पौराणिक कथा के अनुसार काठमांडू घाटी कभी एक विशाल पवित्र झील थी। पहले बौद्ध, विपासुरी ने इस झील की यात्रा की । उन्होंने झील में कमल का एक बीज फेंक दिया । वह बीज 80,000 वर्षों के बाद पुष्पित हुआ । तब दूसरे बौद्ध, मंजुश्री, इस स्थान पर आये । उन्होंने अपनी ज्ञान की तलवार से इस झील को निम्नतम बिन्दु पर कर दिया । इस प्रकार उन्होंने वर्तमान घाटी का निर्माण किया । यह बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए एक पवित्र स्थल बन गया है । मंजुश्री ने इस घाटी में एक स्तूप भी बनाया ।
नेपाल का लिपिबद्ध इतिहास ईसा-पूर्व आठवीं एवं सातवीं शताब्दियों के किराती राजवंश से प्रारम्भ होता है। एक किराती राजा मालम्बर ने महाभारत की लड़ाई लड़ी थी । गौतम बुद्ध अपने शिष्य, आनन्द के साथ इस घाटी में आये थे । बौद्ध धर्म अपनाने के बाद अशोक महान् लुम्बिनी, काठमांडू आये थे और उन्होंने पाटन के पाँच स्तूप बनवाये थे । अन्तिम किराती राजा गस्ती थे जो 300 ई. में लिच्छवियों से पराजित हो गये थे। उन्होंने 550 वर्षों से भी अधिक राज्य किया और हिन्दू धर्म की इसकी सामाजिक- धार्मिक परम्पराओं के साथ स्थापना की जो आज तक कायम है।
कहा जाता है कि ठाकुरी राजवंश जो लिच्छवियों के बाद आया, का प्रारम्भ राजा अमसुवरमन के साथ 602 ई. में हुआ। अमसुवरमन के शासन काल में कला, संस्कृति, व्यापार तथा वाणिज्य बहुत हद तक विकसित हुए । उसकी लीक को दूसरे ठाकुरी राजवंश ने बदल दिया – विशेष रूप से 1043 ई. में नुवाकोट के ठाकुरी एवं 1042 में दूसरे राजपूत राजवंश ने । ऐसे राजनैतिक उथल-पुथल को नेपाल का अंधकार का युग कहा जाता है जो तब तक जारी रहा जब तक मल्ल अर्थात् पहलवान ने 1200 ई. में दृढ़ नियंत्रण नहीं कर लिया । राजपूत राजाओं में से एक गुणकाम देव (दसवीं सदी) कार्तिपुर का संस्थापक था जो आज का काठमांडू है । काठमांडू शब्द काष्ठमण्डप से लिया गया है (स्वर्गिक वृक्ष के सदृश लकड़ी का एक बनावटी ढाँचा)। मल्ल युग 550 वर्षों तक चला । यह कलात्मक, रचनात्मकता एवं एकता का समय था । फिर भी अन्तिम मल्ल राजा यक्ष मल्ल (15वीं सदी) के समय राज्य ने अनेक आक्रमण देखे, खासकर बंगाल के मुसलमान शासकों के। उसकी मृत्यु के बाद केन्द्र कमजोर हो गया । इसके फलस्वरूप 46 राज्यों का आविर्भाव हुआ। उनमें से गोरखा राज्य का शाह वंश सबसे अधिक शक्तिशाली बनकर निकला और 1768 में गोरखाओं ने काठमांडू के शाही महल पर कब्जा कर लिया ।
ब्रिटिश काल में भारत के साथ नेपाल के सम्बन्ध कभी मित्रतापूर्ण नहीं रहे । हालांकि नेपाली गर्व के साथ कहते हैं कि नेपाल कभी उपनिवेश नहीं बना, न बाहरी लोगों द्वारा शासित हुआ । तथापि उन्हें मित्रता की सन्धि पर हस्ताक्षर करना पड़ा और 1816 के बाद काठमांडू में ब्रिटिश रेज़िडेन्ट स्वीकार करना पड़ा।
धीरे-धीरे राजा के हाथ से शक्ति प्रधानमंत्री के हाथ में आ गई । अन्त में 1846 में एक सेनापति, जंग बहादुर ने चालाकी से अपने को प्रधानमंत्री बना लिया । बाद में जंग बहादुर ने महाराजा की पदवी ले ली और अपने को राणा कहने लगे । राजा अब पृष्ठभूमि में चला गया। 1950 ई. में राणाओं द्वारा शोषण के 104 वर्षों के शासन का अन्त हो गया जब भारत को राणाओं और राजाओं के बीच शान्ति कायम करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा । शीघ्र ही एक नया संविधान अपनाया गया जिसके अन्तर्गत राजा नेपाल का संवैधानिक नरेश है और नेपाली एकता का प्रतीक है। 205 सदस्यों वाली विधान सभा के सदस्य सीधे निर्वाचक-मंडल से चुने जाते हैं ।
हाल ही में नेपाल ने इतिहास में वर्णित अपने देश का सबसे भयानक रक्तपात देखा जब सिंहासन के उत्तराधिकारी ने शाही परिवार के नौ सदस्यों को गोलियों से मार डाला जिनमें तत्कालीन नरेश भी शामिल थे। नेपाल में 36 भाषाओं एवं बोलियों से कम नहीं बोली जाती हैं। इसी तरह की विभिन्नता धार्मिक कृत्यों तथा धर्मों में भी देखी जाती है। फिर भी सबसे अधिक लोकप्रिय धर्म हिन्दू धर्म तथा बौद्ध धर्म हैं ।
नेपाल की प्रमुख सभ्यताएं
नेपाल की महान् सभ्यताएँ शिल्प, मूर्तिकला, चित्रकला, संगीत एवं नृत्य की उत्कृष्टता के लिए भी प्रसिद्ध रही हैं । साहित्य में भानुभक्त, मोतीराम एवं लेखनाथ पौड्याल सरीखे कवियों के नाम सबसे अधिक विख्यात हैं । संगीत नेपाल की मुख्य धमनी रही है । गायनी के नाम से जाने वाले व्यावसायिक संगीतकार किसी समय हर जगह पाये जाते थे । नेपाली नृत्यों में कुछ कुमारी नृत्य, मंजुश्री नृत्य एवं वज्रयोगिनी नृत्य हैं
नेपाली नववर्ष दिवस
नेपाली अपना नववर्ष दिवस सामान्यतः मध्य अप्रैल में वैशाख माह के प्रथम दिन मनाते हैं । भक्तपुर में घाटी का सबसे अधिक उत्तेजक त्योहार लगता है जिसे बिस्केत त्योहार के नाम से जाना जाता है । दूसरा नववर्ष त्योहार बालकुमारी जात्रा है । पाटन में सबसे बड़े वार्षिक त्योहारों में एक लगता है जिसे रालो मछेन्द्रनाथ जात्रा कहा जाता है। फिर भी सबसे महत्वपूर्ण त्योहार इन्द्रजात्रा और गजरात्र है। इसी प्रकार दसाइन अथवा दुर्गा-पूजा समस्त नेपाल में होती है ।
गोरखा सैनिक : नेपाल
नेपाल अपने शौर्य के लिए भी प्रसिद्ध है । विख्यात गुरखा सैनिक इसी देश की देन हैं। अपने साहस और वफादारी के लिए प्रसिद्ध इन खुखरी धारण करने वाले सैनिकों ने अनेक लड़ाइयों एवं युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
माउंट एवरेस्ट के बारें में
माउन्ट एवरेस्ट 8848 मी. नेपाल में है । इसका नाम 19वीं सदी के ब्रिटिश सर्वेयर जेनरल जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है। 1953 में न्यूज़ीलैण्ड के एडमन्ड हिलरी एवं तेनजिंग नर्गे शेर्पा इस चोटी पर पहुँचने वाले प्रथम पर्वतारोही थे। 1975 में जापान की श्रीमती जुन्का तबेई माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला थी। संसार के दस उच्चतम पहाड़ों में आठ पूर्ण रूप से नेपाल में ही हैं।
इस प्रकार पृथ्वी के उच्चतम पहाड़ों के पालने में बसा हुआ नेपाल एक ऐसा देश है जहाँ देवता मनुष्यों से मिलते हैं। यह हिमालय ‘देवताओं का निवास स्थान’ है। नेपालियों के द्वारा माउन्ट एवरेस्ट ‘सागरमाथा’ महासागरों की भौंह के नाम से जाना जाता है । पृथ्वी का कोई भी दूसरा देश नेपाल की तरह विभिन्नता नहीं दिखाता । यह एक भौगोलिक आश्चर्य है।