भारत में चालुक्य वंश (Chalukya Vansh)-
भारत में चालुक्य वंश- भारत में चालुक्यों की चार शाखायें प्राप्त होती है-
- वातापी/बादामी के चालुक्य (550 ई.-750ई.)
- कल्याणी के चालुक्य (950 ई. 1100 ई.)
- वेंगी के चालुक्य (600 ई.-1100 ई.)
- अन्हिलवाड़ा गुजरात के चालुक्य (942 ई.-1197 ई.)
महत्वपूर्ण विषय-
- चालुक्यों ने महिलाओं को उच्च पदों पर नियुक्तियाँ दी। संभवतः यह विशेषता केवल इसी राजवंश में थी।
- अन्हिलवाड़ा गुजरात के चालुक्य जैन धर्म को संरक्षण देने वाले थे।
- चालुक्य शासक वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी थे। तथा इन्होंने वराह को अपना राजकीय चिह्न बनाया।
- चालुक्य प्रशासन में गांव के मुखिया को गामुंड कहा जाता था।
वातापी के चालुक्य–
- चालुक्य वंश का संस्थापक (Chalukya Vansh Ka Sansthapak)- जयसिंह
- वास्तविक रूप से वातापी के चालुक्य वंश की स्थापना पुलकेशिन-I ने।
- कीर्तिवर्मन-I को इस राजवंश का प्रथम निर्माता कहा जाता है।
- पुलकेशिन-II- वातापी के चालुक्य वंश का सबसे प्रतापी शासक पुलकेशियन-II था।
- इसने परमेश्वर की उपाधि धारण की।
- इसने अश्वमेध तथा वाजपेय यज्ञ करवाये।
- पुलकेशिन-II ने पुष्यभूति वंश के शासक हर्षवर्धन को पराजित किया।
- पुलकेशिन-II ने पल्लव वंश के शासक महेन्द्रवर्मन-I को पराजित किया।
- इसने पल्लवों से उत्तरी क्षेत्र छीन लिया तथा अपने भाई विष्णुवर्धन को सौंप दिया।
- विष्णुवर्धन ने इसी क्षेत्र में वेंगी के चालुक्य वंश की स्थापना की।
- पुलकेशिन-II ने फारस में अपने राजदूत भेजे।
- यह पल्लव वंश के शासक नरसिंहवर्मन-I से पराजित हुआ। तथा इसकी हत्या कर दी गई।
- पुलकेशिन -II के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी एहोल प्रशस्ति से प्राप्त होती है।
- विक्रमादित्य-II ने पल्लव वंश के शासक नन्दीवर्मन को पराजित किया। तथा कांचीकोण्ड की उपाधि धारण की।
- कीर्तिवर्मन-II- इस वंश का अन्तिम महत्त्वपूर्ण शासक था।
वेंगी के चालुक्य-
- वेंगी के चालुक्य का संस्थापक कुब्ज विष्णुवर्धन था।
कल्याणी के चालुक्य-
- संस्थापक- तैलप-II
- तैलप-II राष्ट्रकूट शासक कर्क-II को पराजित करके कल्याणी के चालुक्य वंश की स्थापना की।
- परमार शासक मुंज ने इसे 6 बार पराजित किया किन्तु सातवीं बार यह सफल रहा।
अन्हिलवाड़ा के चालुक्य-
- इस राजवंश की स्थापना मूलराज प्रथम ने की।
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