भारतीय राष्ट्रीय सुधार आन्दोलन | Bhartiya Rashtriya Sudhar Andolan

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Bhartiya Rashtriya Sudhar Andolan

Table of Contents

भारतीय राष्ट्रीय सुधार आन्दोलन (1919-1947 ई.)

गाँधी-युग (1919-1947)

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ।
  • 13 वर्ष की आयु में इनका विवाह कस्तूरबा से हुआ। 1887 में वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड गए और 1891 में वहाँ से बैरिस्ट्री पास करके लौटे। 1893 में दादा अब्दुल्ला के एक मुकदमें की पैरवी के लिए दक्षिण अफ्रीका गए।
  • 9 जनवरी, 1915 में गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। गांधीजी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के अवसर पर वर्तमान में प्रत्येक वर्ष 7-9 जनवरी प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु बनाया।
  • गाँधीजी ने अपने विचार 1909 में ‘हिन्द स्वराज्य‘ नामक पुस्तक में लिखे।
  • गाँधीजी ने मई 1915 या 1916 को अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की।

चम्पारन सत्याग्रह (1917)

  • गाँधीजी ने सत्याग्रह का अपना बड़ा प्रयोग बिहार के चम्पारन जिले में अप्रैल 1917 में किया।
  • चम्पारन के किसानों को अपनी भूमि के 3/20 भाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी। इस व्यवस्था को तिनकठिया पद्धति कहते थे।
  • 1917 में चम्पारन के राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर गाँधीजी चंपारन गए।
  • चम्पारन सत्याग्रह में गाँधीजी के साथ डाॅ. राजेन्द्रप्रसाद, मजहरुल हक, जे.बी. कृपलानी, नरहरि पारिख और महादेव देसाई आदि नेता थे।
  • चम्पारन सत्याग्रह के दौरान ही रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाँधीजी को ‘महात्मा‘ की उपाधि प्रदान की।

खेड़ा सत्याग्रह (1918)

  • 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की फसल चौपट हो गई। मगर सरकार ने लगान में छूट देने से इंकार कर दिया।
  • इस सत्याग्रह में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

अहमदाबाद सत्याग्रह (1918)

  • 1918 में गाँधीजी ने अहमदाबाद के मजदूरों और मिल मालिकों के एक विवाद में हस्तक्षेप किया। उन्होंने मजदूरों की मजदूरी में 35% वृद्धि की माँग की।
  • अंबालाल साराभाई नामक मिल मालिक की बहन अनुसूइया बेन अहमदाबाद सत्याग्रह में गाँधीजी के साथ थी।
  • गाँधीजी का चम्पारन खेड़ा और अहमदाबाद सत्याग्रह सफल रहा।

राॅलट एक्ट

  • भारत सरकार ने 1917 में सर सिडनी राॅलट की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त की जिसकी सिफारिश पर 18 मार्च 1919 को राॅलट एक्ट पारित किया गया।
  • इस एक्ट के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर दो वर्ष के लिए बन्दी बनाया जा सकता था, किन्तु इसके विरूद्ध ‘न कोई अपील, न कोई दलील और न कोई वकील‘ किया जा सकता था।
  • इसे ‘काला कानून‘ कहकर निन्दा की गई।
  • इस एक्ट के विरोध में 6 अप्रैल, 1919 को देशभर मे हड़तालों का आयोजन करने का निश्चय किया गया।
  • दिल्ली में हड़ताल 30 मार्च को ही हो गई। आर्य समाज नेता स्वामी श्रद्धानंद का चाँदनी चैक में जब सरकार ने आगे बढ़ने पर कडी चेतावनी दी तो उन्होंने अपना सीना खोलकर कहा ‘हिम्मत है तो मारो गोली‘।
  • गांधीजी को 9 अप्रैल को दिल्ली के निकट पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया।
  • पंजाब के दो प्रमुख नेता डाॅ. सत्यपाल और डाॅ. सैफुद्दीन किचलू को अमृतसर में 10 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया गया।

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड (1919)

  • पंजाब में अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के दिन एक निहत्थी मगर भारी भीड़ अपने लोकप्रिय नेताओं डाॅ. सैफुद्दीन किचलू और डाॅ. सत्यपाल की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए जलियांवाला बाग में जमा हुई।
  • अमृतसर के फौजी कमांडर जनरल डायर ने बिना कोई पूर्व चेतावनी के भीड़ पर गोली चलवा दी जिसमें करीब 1000 लोग मारे गए जबकि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 379 लोग मारे गए।
  • इस हत्याकांड की जाँच पड़ताल के लिए 19 अक्टूबर 1919 को 8 सदस्यीय हण्टर कमेटी गठित हुई जिसकी रिपोर्ट 28 मई 1920 को प्रकाशित हुई। हण्टर कमेटी के 8 सदस्य निम्न थे- 1. जस्टिस रैंकिग, 2. मिस्टर राइस, 3. जनरल जार्ज बरो, 4. टाॅमस स्मिथ, 5. चिमन लाल सीतलवाड़, 6 जगत नारायण, 7. साहबजादा सुल्तान अहमद, 8. हण्टर (अध्यक्ष)। हत्याकांड के दोषी लोगों को बचाने के लिए सरकार ने हण्टर कमीशन की रिपोर्ट आने से पूर्व ही ‘इण्डेमिटीबिल‘ पास कर लिया।
  • कांग्रेस ने जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड की जाँच हेतु मदनमोहन मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। इस समिति के अन्य सदस्य मोतीलाल नेहरू, महात्मा गाँधी, तैय्यबजी, सी.आर. दास और जयकर आदि थे।
  • इस हत्याकाण्ड के विरोध में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘नाइट‘ की उपाधि त्याग दी तथा शंकर नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् से इस्तीफा दे दिया।

खिलाफत आन्दोलन

  • खिलाफत आन्दोलन भारतीय मुसलमानों का मित्र राष्ट्रों के विरूद्ध विशेषकर ब्रिटेन के खिलाफ टर्की के खलीफा के समर्थन में आन्दोलन था।
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद, डाॅ. एम.ए. अंसारी, डाॅ. सैफुद्दीन किचलू, मौलवी अब्दुल बरी, हकीम अजमल खां और अली बन्धु (मुहम्मद अली और शौकत अली) आदि टर्की के समर्थक थे।
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 1912 में ‘अलहिलाल‘ तथा मुहम्मदअली ने ‘द काॅमरेड‘ पत्र प्रारंभ किए।
  • सितम्बर, 1919 में अली भाइयों (मुहम्मद अली और शौकत अली), मौलाना आजाद, हकीम अजमल खान और हसल मोहानी के नेतृत्व में अखिल भारतीय खिलाफ कमेटी का गठन किया गया।
  • 19 अक्टूबर, 1919 को समूचे भारत में ‘खिलाफत दिवस‘ मनाया गया।
  • दिल्ली में 23-24 नवम्बर, 1919 को आयोजित अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन की अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की।
  • मार्च 1920 में मौलाना शौकत अली और मुहम्मद अली के नेतृत्व में एक शिष्टमण्डल इंग्लैण्ड भी भेजा गया परन्तु उसे सफलता नहीं मिली।
  • 10 अगस्त, 1920 को सेवर्स की संधि के द्वारा टर्की का विभाजन कर दिया गया। टर्की के सुल्तान को भी बंदी बनाकर कुस्तुंतुनिया भेज दिया गया। कुछ समय बाद यह आन्दोलन स्वतः ही समाप्त हो गया।

असहयोग आन्दोलन (1920-21)

  • 1 अगस्त, 1920 को गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने की घोषणा कर दी। सितम्बर, 1920 में कलकत्ता के विशेष अधिवेशन (लाला लाजपतराय की अध्यक्षता में) में और पुनः दिसम्बर, 1920 में नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में इसका समर्थन किया गया।
  • मुहम्मद अली जिन्ना, एनी बेसेण्ट और विपिन चन्द्र पाल कांग्रेस के इस असहयोग से सहमत नहीं थे। अतः उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
  • असहयोग आन्दोलन की शुरूआत के समय ही कांग्रेस को लोकमान्य तिलक की मृत्यु (1 अगस्त 1920) का सदमा झेलना पड़ा।
  • आन्दोलन के दौरान काशी विद्यापीठ, बिहार विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ तथा जामिया मिलिया इस्लामिया आदि राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना हुई।
  • आन्दोलन के दौरान चितरंजन दास, मोतीलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, सैफुद्दीन किचलू, सी. राजगोपालाचारी, सरदार पटेल, टी. प्रकाशम और आसफ अली आदि तीनों लोगों ने अपनी वकालत छोड़ दी।
  • असहयोग आन्दोलन चलाने के लिए तिलक स्वराज्य फण्ड (कोष) स्थापित किया गया और 6 माह के अन्दर इसमें 1 करोड़ रूपए जमा हो गया।
  • जब ड्यूक ऑफ कैनाट भारत आए तो उनका बहिष्कार किया गया। इसी प्रकार 17 नवम्बर, 1921 को भारत आगमन पर प्रिंस ऑफ वेल्स का भी बहिष्कार किया गया।
  • 1921 में हिन्दू-मुस्लिम एकता के विपरीत मोपला विद्रोह हुआ। यह मुख्यत मुस्लिम किसानों का हिन्दू भू-स्वामियों के विरूद्ध विद्रोह था।
  • 1 फरवरी, 1922 को गांधीजी ने वायसराय लार्ड रीडिंग को पत्र लिखकर कर न देने की धमकी दी।
  • 5 फरवरी, 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में चैरी-चैरा नामक स्थान पर उग्र भीड़ ने एक पुलिस थाने को आग लगा दी जिससे 22 पुलिस कर्मी मारे गए।
  • 12 फरवरी, 1922 में बारडोली में आयोजित कांग्रेस की बैठक में असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
  • सुभाषचन्द्र बोस ने अपनी आत्मकथा ‘दि इडिण्यन स्ट्रगल‘ में लिखा है कि ‘‘जिस समय जनता का उत्साह अपनी चरम सीमा पर था उस समय असहयोग आन्दोलन को स्थगित करना किसी राष्ट्रीय अनर्थ से कम नहीं था।‘‘
  • 10 मार्च 1922 को गांधीजी को गिरफ्तार कर न्यायाधीश बू्रम फील्ड ने 6 वर्ष की सजा सुनाई परन्तु स्वास्थ्य कारणों से गांधीजी को 5 फरवरी 1924 को रिहा कर दिया गया।
  • साम्प्रदायिक दंगों के रूप में देखी गई दरिंदगी का प्रायश्चित करने के लिए गांधीजी ने दिल्ली में मौलाना मुहम्मद अली के घर में सितम्बर 1924 में 21 दिनों का उपवास किया।
  • दिसम्बर 1924 के बेलगांव कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की।

चेम्बर ऑफ प्रिन्सेस (नरेन्द्रमण्डल) (1921)

  • फरवरी 1921 को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय राजाओं का एक संघ बनाया जिसे नरेन्द्रमण्डल कहा गया।
  • इसमें 121 सदस्य थे।
  • नरेन्द्रमण्डल का अध्यक्ष वायसराय को बनाया गया।
  • इसका एक चांसलर और एक उप चांसलर बनाया गया। इसक प्रथम चांसलर बीकानेर के महाराजा गंगासिंह को बनाया गया।
  • नरेन्द्र मण्डल सलाहकारी संस्था थी जिसे भारतीय राज्यों के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं था।

स्वराज्य पार्टी (1923)

  • असहयोग आन्दोलन के पश्चात् चितरंजन दास और मोतीलाल जैसे नेता कांग्रेस की नीति में परिवर्तन चाहते थे जबकि वल्लभभाई पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, डाॅ. अंसारी और राजगोपालाचारी आदि परिवर्तन के विरोधी थे।
  • दिसम्बर, 1922 या जनवरी 1923 को चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज्य पार्टी (कांग्रेस खिलाफत स्वराज्य पार्टी) की स्थापना की। इसके अध्यक्ष चितरंजन दास तथा सचिव मोतीलाल नेहरू थे।
  • 1923 के विधानमण्डलों के चुनाव में स्वराज्य पार्टी को अच्छी सफलता मिली।
  • 1925 में विट्ठल भाई पटेल का सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली (केन्द्रीय विधानमण्डल) के अध्यक्ष चुना जाना स्वराजियों की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।
  • जून 1925 में चितरंजन दास की मृत्यु से स्वराज्य पार्टी कमजोर हो गई।
  • भारत सरकार के गृह सदस्य एलेक्जैंडर मुडीमेन के नेतृत्व में सुधारों के लिए एक समिति बनाई गई जिसने अपनी रिपोर्ट में दोहरे शासन को उचित ठहराया।

बटलर समिति (1927)

  • भारतीय राजाओं की मांग पर ब्रिटिश सरकार और भारतीय राज्यों बीच सम्बन्धों को पुनः परिभाषित करने के उद्देश्य से 1927 में Indian States Committee के नाम से एक समिति का गठन किया गया।
  • इस कमेटी के अध्यक्ष सर हरकोर्ट बटलर थे।
  • इस कमेटी के 2 अन्य सदस्य एस. होल्डसवर्थ और एस.सी. रीड थे।

बारदोली सत्याग्रह (1928)

  • 1928 में वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में बारदोली में किसानों ने टैक्स ना देने का आन्दोलन चलाया और अंत में अपनी मांगे मनवाने में सफल रहे।
  • बारदोली सत्याग्रह के दौरान ही बारदोली की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को कस्तूरबा गांधी के नेतृत्व में सरदार की उपाधि दी।

साइमन कमीशन

  • 1919 के अधिनियम में यह प्रावधान था कि दस वर्ष के बाद यह देखा जाएगा कि वर्तमान एक्ट कहां तक उपयोगी साबित हुआ। अतः यह जाँच आयोग 1929 में बैठना था।
  • इंग्लैण्ड की अनुदार पार्टी ने यह कमीशन 1927 में अर्थात् दो वर्ष पहले ही नियुक्त कर दिया। इसका मुख्य कारण यह था कि इंग्लैण्ड के आगामी चुनावों में अनुदार दल को जीतने की आशा न थी और वे भारत के भविष्य के स्वयं ही निर्धारित करना चाहते थे।
  • इसके अध्यक्ष सर जाॅन साइमन के कारण यह साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है।
  • इसमें 7 सदस्य थे और कोई भी भारतीय नहीं था। अतः इसे ‘व्हाइट मैन कमीशन‘ भी कहते है। इसे ‘इंडियन स्टेट्यूटरी कमीशन‘ भी कहा जाता है।
  • वर्ष 1927 के डाॅ. अंसारी की अध्यक्षता में मद्रास कांग्रेस अधिवेशन में इस कमीशन का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया।
  • 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन बम्बई पहुँचा।
  • लखनऊ में पं. जवाहर लाल नेहरू और गोविन्द वल्लभ पंत के नेतृत्व में इसका विरोध किया गया।
  • लाहौर में लाला लाजपतराय के नेतृत्व में विरोध किया गया, जिन पर पुलिस अधिकारी साण्डर्स द्वारा लाठी से प्रहार किया। मृत्यु से पूर्व उन्होंने भाषण देते हुए कहा कि, ‘‘मेरे शरीर पर लगी एक-एक चोट ब्रिटिश राज्य के कफन की कील सिद्ध होगी।‘‘
  • साइमन कमीशन की रिपोर्ट मई 1930 में प्रकाशित हुई।

नेहरू रिपोर्ट

  • भारतीय सचिव लाॅर्ड बर्कनहेड ने ब्रिटिश संसद में भारतीयों को एक ऐसे संविधान निर्माण की चुनौती दी जो सभी को मान्य हो।
  • कांग्रेस ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए 28 फरवरी 1928 को दिल्ली में एक सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया जिसमें 29 संस्थाओं ने भाग लिया।
  • 10 मई 1928 को बम्बई में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया। ये सात सदस्य – सुभाषचन्द्र बोस, सर इमाम अली, सर तेजबहादुर सपू्र, जी.आर. प्रधान, एम.एस. अणे, शौएब कुरैशी तथा सरदार मंगल सिंह।
  • इस समिति ने अगस्त 1928 में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की जो नेहरू रिपोर्ट के नाम से जानी जाती है। इस रिपोर्ट में प्रादेशिक स्वायत्तता को ही तत्कालीन लक्ष्य माना गया है।

जिन्ना का चौदह सूत्री फार्मूला

  • मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए सितम्बर 1929 में अपनी 14 मांगे प्रस्तुत की। इसे ही जिन्ना का चौदह सूत्री फार्मूला कहा जाता है।

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929)

  • 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में रावी नदी के तट पर पं. जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन हुआ।
  • इस अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया।
  • इस अधिवेशन में प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन (1930)

  • 12 मार्च 1930 को गाँधीजी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी की ओर कूच किया।
  • गाँधीजी 5 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुंचे और 6 अप्रैल, 1930 को समुद्र के पानी से नमक बनाकर सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरूआत की।
  • पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त के मुसलमानों ने खान अब्दुल गफ्फार खां (सीमांत गांधी) के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन किया।
  • खान अब्दुल गफ्फार खां के नेतृत्व में गठित ‘खुदाई खिदमतगार गफ्फार‘ (ईश्वर के सेवक) या ‘लाल कुर्ती संगठन‘ ने आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • पेशावर में गढ़वाल रेजीमेंट के सिपाहियों ने चन्द्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व में निहत्थे आन्दोलनकारियों पर गोली चलाने से इन्कार कर दिया।
  • 13 वर्षीय नागा महिला रानी गिडालू (गाडिनेल्यू) ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का पूरा समर्थन किया। जवाहर लाल नेहरू ने गिडालू को ‘रानी‘ की उपाधि प्रदान की। जवाहर लाल नेहरू ने कहा था ‘‘एक दिन आएगा जब भारत उसे याद करेगा और उसका सम्मान करेगा।‘‘

प्रथम गोलमेज सम्मेलन

  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन लंदन में 12 नवम्बर 1930 से 13 जनवरी, 1931 तक आयोजित किया गया।
  • इस सम्मेलन में कांग्रेस के द्वारा भाग नहीं लिया गया।
  • इस सम्मेलन का उद्घाटन ब्रिटिश सम्राट् जार्ज पंचम ने तथा अध्यक्षता ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने की।
  • इस सम्मेलन में भीमराव अम्बेडकर, मुहम्मद अली जिन्ना, तेजबहादुर सपू्र, मुहम्मद अली, मुहम्मद शफी, आगा खां आदि ने भाग लिया।
  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन में देशी रियासतों के प्रतिनिधि के रूप में राजस्थान के 3 शासकों – बीकानेर के महाराजा गंगासिंह, अलवर के महाराजा जयसिंह और धौलपुर के महाराजा उदयभान सिंह ने भाग लिया।

गाँधी -इरविन समझौता (1931)

5 मार्च 1931 को गांधीजी और वायसराय लार्ड इरविन के बीच गांधी-इरविन समझौता हुआ जिसके अनुसारः

  1. गांधीजी सविनय अवज्ञा आन्दोलन को स्थगित करने को तैयार हो गए।
  2. कांग्रेस दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेगी।
  3. तटीय इलाकों में नमक बनाने का अधिकार दिया गया।
  4. सभी राजनीतिक कैदियों जिनके विरूद्ध हिंसा के आरोप नहीं थे, रिहा कर दिया जाएगा।

इस समझौते की इस आधार पर आलोचना की जाती है कि गांधीजी, भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु की फांसी की सजा को माफ नहीं करा सके।

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931)

  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन लंदन में 7 सितम्बर, 1931 से 1 दिसम्बर, 1931 तक चला।
  • इसमें कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में गांधीजी ने भाग लिया।
  • इस सम्मेलन में भीमराव अम्बेडकर, मदन मोहन मालवीय तथा एनी बेसेण्ट ने भी भाग लिया।
  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गया क्योंकि सम्मलेन में साम्प्रदायिक समस्या का कोई समाधान नहीं निकला।
  • गांधीजी ने 3 जनवरी 1932 को पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया परन्तु शीघ्र ही मई 1933 में निलंबित कर दिया और मई 1934 में समाप्त कर दिया।

साम्प्रदायिक पंचाट और पूना समझौता (1932)

  • ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनल्ड ने 16 अगस्त 1932 को मैकडानल्ड निर्णय या साम्प्रदायिक पंचाट की घोषणा की।
  • इस पंचाट के अनुसार दलितों को हिन्दुओं से अलग मानकर उन्हें अलग प्रतिनिधित्व देने को कहा गया और दलित वर्गो के लिए अलग से निर्वाचन मण्डल का प्रावधान किया गया।
  • गांधीजी ने इसका विरोध किया और जेल में ही 20 सितंबर 1932 को आमरण अनशन कर दिया।
  • गांधीजी के मरणासन्न होने पर देश के कई प्रमुख नेताओं जैसे डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, पं. मदनमोहन मालवीय, घनश्याम दास बिड़ला, सी. राजगोपालाचारी, पुरुषोत्तम दास के प्रयासों से गांधीजी और डाॅ. अम्बेडकर के बीच 26 सितम्बर 1932 को पूना समझौता हुआ।
  • पूना समझौते के अनुसार दलितों के लिए पृथक निर्वाचन व्यवस्था समाप्त कर दी गई तथा प्रान्तीय विधानमण्डलों में दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 148 कर दी गई।

तीसरा गोलमेज सम्मेलन (1932)

  • तीसरा सम्मेलन सम्मेलन 17 नवम्बर से 24 दिसम्बर 1932 तक चला।
  • इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग नहीं लिया।
  • भीमराव अम्बेडकर एकमात्र ऐसे सदस्य थे जिन्होंने दलित वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया।

कांग्रेस समाजवादी पार्टी (1934)

  • 1934 में आचार्य नरेन्द्रदेव, जयप्रकाश नारायण और अच्युत पटवर्धन ने कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना की।

1935 का अधिनियम

  • इस अधिनियम के द्वारा केन्द्र में ब्रिटिश भारतीय प्रान्तों और देशी रियासतों को मिलाकर एक अखिल भारतीय संघ की स्थापना की व्यवस्था की गई।
  • प्रान्तों में प्रान्तीय स्वायत्तता की स्थापना की गई।
  • बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया। दो नए प्रान्त उड़ीसा व सिन्ध बन गए।
  • साम्प्रदायिक चुनाव पद्धति का विस्तार किया गया।
  • प्रान्तों में द्वैध शासन को समाप्त कर केन्द्र में लागू कर दिया।
  • संघात्मक न्यायालय की स्थापना की गई
  • पं. जवाहर लाल नेहरू ने 1935 के अधिनियम को ‘दासता का अधिकार पत्र‘ कहा।
  • पं. नेहरू ने इस अधिनियम को ‘एक ऐसी मशीन बताया जिसमें बे्रक अनेक है लेकिन इंजन कोई नहीं है।‘
  • सी. राजगोपालाचारी ने इसे ‘द्वैध शासन से भी बुरा कहा।‘
  • जिन्ना ने इस अधिनियम के बारे में कहा कि ‘‘यह पूर्णतः सड़ा हुआ, मूल रूप से बुरा और बिल्कुल अस्वीकृत है।‘‘

अखिल भारतीय किसान सभा (1936)

  • 11 अप्रैल, 1936 को लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना हुई।
  • प्रथम अखिल भारतीय किसान सभा की अध्यक्षता स्वामी सहजानंद सरस्वती ने की।

कांग्रेस मंत्रिमण्डलों का गठन (1937)

  • 1935 के अधिनियम के अनुसार 1937 के चुनावों में 11 में से 7 प्रान्तों में कांग्रेस मंत्रिमण्डलों का गठन हुआ।
  • कांग्रेस ने उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त, मध्य प्रान्त, बम्बई बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रान्त तथा मद्रास में मंत्रिमण्डल गठित किए।
  • दो प्रान्तों सिन्ध और असम में कांग्रेस के सहयोग से मंत्रिमण्डल बने।
  • पंजाब और बंगाल में गैर कांग्रेसी मंत्रिमण्डल बने। पंजाब में यूनियनिस्ट पार्टी ने और बंगाल में कृषक प्रजा पार्टी और मुस्लिम लीग ने मिलकर मंत्रिमण्डल का गठन किया।
  • अप्रैल 1936 ई. में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहर लाल नेहरू ने की।
  • दिसम्बर, 1937 ई. में फैजपुर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहर लाल नेहरू ने की।
  • 1938 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता सुभाषचन्द्र बोस ने की।

पीरपुर समिति (1938)

  • कांग्रेस शासित मंत्रिमण्डलों में मुसलमानों के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है इसकी जांच के लिए मुस्लिम लीग द्वारा पीरपुर समिति या पीर मुहम्मद कमेटी का गठन किया गया। जिसमें प्रान्तों में मुसलमानों की स्थिति अत्यन्त दयनीय है।

कांग्रेस मंत्रिमण्डलों का त्यागपत्र (1939)

  • 3 सितम्बर 1939 ई. को द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया और ब्रिटिश सरकार ने बिना भारतीयों से पूछे भारत को भी युद्ध में झोंक दिया। इस पर कांग्रेस मंत्रिमण्डलों ने 15 नवम्बर, 1939 को त्याग पत्र दे दिया।
  • 1939 में कांग्रेस मंत्रिमण्डलों के त्यागपत्र के बाद मुस्लिम लीग ने भीमराव अम्बेडकर के साथ 22 दिसम्बर 1939 को मुक्ति दिवस मनाया।

मुस्लिम लीग का लाहौर अधिवेशन (1940)

  • 22 या 23 मार्च 1940 को लाहौर में मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग का अधिवेशन हुआ।
  • इस अधिवेशन में जिन्ना के द्वारा द्विराष्ट्र सिद्धान्त पारित किया गया।

अगस्त प्रस्ताव (8 अगस्त, 1940)

  • 8 अगस्त, 1940 को वायसराय लार्ड लिनलिथगो ने युद्ध के दौरान कांग्रेस का सहयोग प्राप्त करने के लिए अगस्त प्रस्ताव पारित किया।
  • अगस्त प्रस्ताव में कांग्रेस की अंतरिम राष्ट्रीय सरकार गठित करने की मांग को अस्वीकार कर दिया।
  • जवाहर लाल नेहरू ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि, ‘‘वह दरवाजें में जड़ी जंग लगी कील की तरह है।‘‘

व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940)

  • 17 अक्टूबर 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह का आरम्भ हुआ।
  • विनोबा भाव पहले सत्याग्रही, जवाहर लाल नेहरू दूसरे सत्याग्रही तथा ब्रह्मदत्त तीसरे सत्याग्रही थे।
  • गांधीजी के पत्र हरिजन बंधु और हरिजन सेवक बंद कर दिए।

क्रिप्स मिशन (1942)

  • 22 मार्च 1942 को सर स्टैफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में एक मिशन भारत भेजा गया जिसे क्रिप्स मिशन कहा गया।
  • क्रिप्स मिशन को कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने अस्वीकार कर दिया।
  • इस मिशन के बारे में गांधीजी ने कहा कि- ‘‘यह उत्तर तिथीय चैक है जो ऐसे बैंक के नाम से जारी किया जो दिवालिया होने वाला है।

भारत छोड़ो आन्दोलन (1942)

  • 14 जुलाई 1942 को वर्धा में आयोजित कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में ‘‘भारत छोड़ो प्रस्ताव‘‘ पारित किया गया।
  • 8 अगस्त, 1942 को बम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में ‘भारत छोड़ो प्रस्ताव‘ स्वीकार कर लिया।
  • गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया।
  • 9 अगस्त 1942 को गांधीजी सहित अनेक महत्वपूर्ण नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • आन्दोलन के प्रति सरकार के कठोर रुख को देखते हुए गांधीजी ने आगा खां पैलेस में 10 फरवरी 1943 को 21 दिन के उपवास की घोषणा कर दी।

सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिन्द फौज

  • 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक नामक स्थान पर सुभाष चन्द्र बोस का जन्म हुआ।
  • 1920 में ICS की परीक्षा पास की परन्तु नौकरी की अपेक्षा देश सेवा को प्रमुखता दी। उन पर देशबंधु चितरंजन दास का विशेष प्रभाव पड़ा।
  • असहयोग आन्दोलन के दौरान उन्हें 6 महीने की सजा दी गई।
  • 1923 में वे कलकत्ता के मेयर चुने गए परन्तु उन्हें शीघ्र ही गिरफ्तार (1924) करके मांडले जेल भेज दिया।
  • 1938 में हरिपुरा तथा 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की।
  • मई 1939 में फारवर्ड ब्लाॅक की स्थापना की।
  • जर्मनी में ही उन्हें सर्वप्रथम ‘नेताजी‘ कहकर पुकारा गया। जर्मनी में सुभाषचन्द्र बोस द्वारा फ्री इण्डिया सेंटर की स्थापना की।

आजाद हिन्द फौज

  • रास बिहारी बोस ने 1915 में जापान में राजनीतिक शरण ली और दक्षिण पूर्वी एशिया में रहने वाले भारतीयों के सहयोग से ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग‘ का गठन किया।
  • मार्च 1942 में रास बिहारी बोस ने टोकियों में एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें भारतीय राष्ट्रीय सेना या आजाद हिन्द फौज के गठन का निर्णय लिया गया।
  • प्रारम्भ में आजाद हिन्द फौज का संचालन मलाया में कैप्टन मोहन सिंह ने किया।
  • 2 जुलाई 1943 को सुभाषचन्द्र बोस सिंगापुर पहुंचे जहां उन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया।
  • 5 जुलाई 1943 को सुभाषचन्द्र बोस को भारतीय स्वतंत्रता लीग का अध्यक्ष तथा अक्टूबर में आजाद हिन्द फौज का सर्वोच्च सेनापति बनाया गया।
  • उन्होंने उद्घोष किया ‘‘तमु मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा।‘‘ उन्होंने देश को जयहिंद का नारा दिया।
  • सुभाषचन्द्र बोस ने लक्ष्मीबाई के नाम पर ‘लक्ष्मीबाई रेजीमेंट‘ बनाई।

राजगोपालाचारी फार्मूला या योजना (1944)

  • चक्रवर्ती राजगोपालाचारी द्वारा 1944 में भारत के विभाजन की जो योजना कांग्रेस के सम्मुख प्रस्तुत की गई उसे ही सी.आर. फार्मूला के नाम से जाना जाता है।

वैवल योजना (14 जून, 1945)

  • अक्टूबर, 1943 में लाॅर्ड वैवल भारत के नए वायसराय बनकर आए। उन्होंने घोषणा की कि- ‘‘मैं अपने थैले में बहुत सी चीजें ला रहा हूँ।‘‘ लेकिन 6 मई 1944 को गांधीजी को जेल से छोड़ने के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला।
  • 14 जून, 1945 का लाॅर्ड वैवल ने एक योजना प्रस्तुत की जो वैवल योजना के नाम से जानी जाती है।

शिमला सम्मेलन

  • वैवल योजना पर विचार करने के लिए 25 जून, 1945 को शिमला सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन 25 जून से 14 जुलाई, 1945 तक चला।
  • इस सम्मेलन में 21 राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित किया गया। यह सम्मेलन असफल रहा।
  • अबुल कलाम आजाद ने शिमला सम्मेलन की असफलता को भारत के राजनीतिक इतिहास में एक जलविभाजक की संज्ञा दी।

1945 के चुनाव

  • 1945 के चुनावों में इंग्लैण्ड में लेबर पार्टी की सरकार बनी। लाॅर्ड एटली प्रधानमंत्री तथा लार्ड पैथिक लाॅरेंस भारत मंत्री बने।

शाही नौसेना विद्रोह (1946)

  • 18 फरवरी 1946 को राॅयल इंडियन नेवी के सैनिकों जिन्हें रेटिंग्ज कहा जाता था ने बम्बई में विद्रोह कर दिया।
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा मुहम्मद अली जिन्ना के आग्रह पर विद्रोही सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया।

कैबिनेट मिशन योजना (मार्च 1946)

  • लार्ड एटली की ब्रिटिश सरकार ने 15 मार्च 1946 को एक घोषणा की जिसमें भारतीयों के आत्मनिर्णय के अधिकार और संविधान बनाने को मान लिया गया।
  • 16 मई 1946 को कैबिनेट मिशन ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।
  • मुस्लिम लीग ने 6 जून, 1946 को तथा कांग्रेस ने 25 जून 1946 को इस योजना को स्वीकार कर लिया।

प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस (16 अगस्त, 1946)

  • मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग को असली जामा पहनाने के उद्देश्य से 16 अगस्त 1946 को प्रत्यक्ष कायवाही दिवस निश्चित किया।

अन्तरिम सरकार की स्थापना (2 सितम्बर, 1946)

  • कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार 2 सितम्बर 1946 को पं. जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया।
  • इस अंतरिम सरकार में 14 सदस्य थे इसमें कांग्रेस के 6, मुस्लिम लीग के 5, भारतीय ईसाई के 1, 1 सिक्ख और 1 पारसी होगा।

संविधान सभा की बैठक

  • संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को सच्चिदानन्द सिन्हा की अध्यक्षता में हुई। सच्चिदानन्द सिन्हा संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष थे।
  • 11 दिसम्बर, 1946 को डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • 13 दिसम्बर, 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा ‘उद्देश्य प्रस्ताव‘ पेश किया गया जिसे संविधान सभा द्वारा 22 दिसम्बर 1946 या 22 जनवरी 1947 को पारित किया।
  • संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राव थे।
  • डाॅ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त, 1947 को प्रारूप समिति का गठन किया गया।
  • प्रारूप समिति ने 21 फरवरी 1948 को अपनी रिपोर्ट संविधान सभा को सौंपी।
  • 26 नवम्बर 1949 को संविधान को अन्तिम रूप से अंगीकृत किया गया तथा 26 जनवरी 1950 को संविधान को लागू किया गया।
  • संविधान सभा की अन्तिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई थी और उसी दिन संविधान सभा द्वारा डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
  • प्रारम्भ में मुस्लिम लीग ने अन्तरिम सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया परन्तु 26 अक्टूबर 1946 को मुस्लिम लीग इसमें शामिल हो गई।

अन्तरिम सरकार के सदस्य

  • पं. जवाहर लाल नेहरू- कार्यकारी परिषद् के उपाध्यक्ष, विदेशी मामले तथा राष्ट्रमण्डल से सम्बन्धित मामले।
  • सी. राजगोपालाचारी- शिक्षा विभाग
  • अरुणा आसफ अली- रेलवे विभाग
  • जगजीवन राम- श्रम विभाग
  • डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद- खाद्य एवं कृषि विभाग
  • बलदेव सिंह- रक्षा विभाग
  • जाॅन मथाई- उद्योग तथा आपूर्ति विभाग
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल- गृह, सूचना एवं प्रसारण विभाग तथा रियासत संबंधी मामले
  • सी.एच. भाभा- कार्य, खान तथा बन्दरगाह

मुस्लिम लीग के सदस्य

  • लियाकत अली- वित्त विभाग
  • जोगेन्द्र नाथ मण्डल- विधि विभाग
  • आई.आई. चुन्देरीगर- वाणिज्य विभाग
  • गजनफर अली खां- स्वास्थ्य विभाग
  • अब्दुल रब नस्तर खां- संचार विभाग

लार्ड एटली की घोषणा (20 फरवरी 1947)

  • 20 फरवरी 1947 को प्रधानमंत्री लार्ड एटली ने हाउस ऑफ काॅमर्स में यह घोषणा की कि अंग्रेज जून, 1948 तक उत्तरदायी लोगों को सत्ता हस्तान्तरित करने के उपरान्त भारत छोड़ देगे।

माउंटबेटन योजना

  • 34 वें और अन्तिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल व वायसराय लार्ड माउण्टबेन 24 मार्च 1947 को भारत आए।
  • 3 जून 1947 को माउण्टबेटन ने भारत विभाजन की योजना प्रस्तुत की जिसे कांग्रेस और जिन्ना ने स्वीकृति दे दी।
  • पुरुषोत्तम दास टंडन ने पाकिस्तान स्वीकार करने पर कांग्रेस की कटु आलोचना की।
  • गोविन्द वल्लभ पंत ने कहा कि ‘‘आज हमें पाकिस्तान अथवा आत्महत्या में से एक चुनना पडेगा‘‘
  • सरदार पटेल ने माना कि यदि इस प्रकार चलता रहा तो हमें एक पाकिस्तान नहीं कई पाकिस्तान बनाने पड़ेगें।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, जुलाई 1947

  • 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को पास कर दिया तथा 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश क्राउन की स्वीकृति मिल गई। 15 अगस्त, 1947 को इसे लागू किया गया और इसी के साथ देश आजाद हो गया।
  • लार्ड माउण्टबेटन को स्वतंत्र भारत का प्रथम ब्रिटिश गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया।

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