भारत में पुनर्जागरण
राजा राममोहन राय (1772-1833 ई.)-
- ब्रह्य समाज ब्रह्य समाज की स्थापना।
- राजा राम मोहन राय आधुनिक भारत के प्रथम समाज सुधारक थे।
- भारतीय राष्ट्रवाद के जनक
- ये पुनर्जागरण के अग्रदूत कहे जाते है।
- आधुनिक भारत के पिता के नाम से भी जाना जाता है।
- इनका जन्म बंगाल के हुगली जिले के राधानगर में हुआ।
- 1809 में राजाराममोहन ने फारसी भाषा में तुहफात-उल-मुवाहिदीन (एकेश्वरवादियों का उपहार) नामक पुस्तक का प्रकाशन किया।
- 1814 में राजाराममोहनराय ने आत्मीय सभा का गठन किया।
- राय ने 1817 में कलकत्ता में हिन्दू काॅलेज की स्थापना में डेविड हेयर का सहयोग किया।
- 1825 में राय ने वेदान्त काॅलेज एवं वेदान्त सोसायटी की स्थापना करवाई।
- 20 अगस्त 1828 को राजाराममोहनराय ने ब्रह्म समाज की स्थापना कलकत्ता में की।
- राजाराममोहनराय को 1830 में मुगल बादशाह अकबर द्वितीय ने राजा की उपाधि दी।
- इंग्लैण्ड में ब्रिस्टल- नामक स्थान पर 27 सितम्बर 1833 ई. को मृत्यु हो गई।
- राजाराममोहनराय को भारतीय पुनर्जागरण का प्रभात का तारा कहा जाता है।
राजाराममोहनराय द्वारा प्रकाशित पुस्तकें-
- ईसा के नीति वचन शांति और खुशहाली के मार्ग (1820 ई.)
- हिन्दु उत्तराधिकारी नियम
प्रमुख पत्रिकायें-
- मिरातुल अखबार अथवा बुद्धि दर्पण (फारसी भाषा में)
- संवाद कौमुछी अथवा प्रज्ञाचाँद (बंगाली भाषा में)
- इन्हें भारत में पत्रकारिता का अग्रदूत माना जाता है।
- देवेन्द्रनाथ टैगोर ने कलकत्ता में तत्व बोधिनी सभा (1839 ई. में) की स्थापना की।
- 1866 ई. में ब्रह्म समाज के पहले विभाजन के बाद देवेन्द्रनाथ ने आदि ब्रह्मसमाज बनाया तथा केशवचन्द्र सेन ने भारतीय ब्रह्म समाज बनाया।
दयानन्द सरस्वती और आर्य समाज-
- बचपन का नाम- मूलशंकर, जन्म- 1824 में, गुजरात में हुआ।
- 1860 में दयानन्द सरस्वती मथुरा के स्वामी विरजानन्द से मिले, जिन्होंने दयानन्द सरस्वती को वेदों का ज्ञान दिया।
- इन्होंने वेदों की ओर लौटो का नारा दिया।
- इन्होंने शुद्धि आन्दोलन चलाकर हिन्दू धर्म का परित्याग कर अन्य धर्म अपनाने वालों को पुनः हिन्दू धर्म में शामिल किया।
- वे प्रथम भारतीय थे जिन्होंने कहा कि भारत भारतवासियों के लिए है।
- आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानन्द जी ने 1875 ई. (10 अपे्रल 1875) में बम्बई में की। बाद में 1877 ई. में आर्य समाज का मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया गया।
- आर्य समाज ने 1882 ई. में गायों की रक्षा हेतु गौ रक्षिणी सभा की स्थापना की।
दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखी गई पुस्तकें-
- सत्यार्थ प्रकाश (हिन्दी में) 1874 ई. में
- पाखण्ड खण्डन
- देवभाष्य भूमिका (हिन्दी तथा संस्कृत)
- ऋग्वेद
दयानन्द सरस्वती ने चार स्व अवधारणा दी-
- स्व-राज्य
- स्व-धर्म
- स्व-देश
- स्व-भाषा
- सर्वप्रथम स्वराज्य शब्द दयानन्द सरस्वती ने दिया।
- दयानन्द सरस्वती की मृत्यु अजमेर में हुई।
स्वामी विवेकानन्द तथा रामकृष्ण मिशन-
- स्वामी विवेकानन्द के गुरु- रामकृष्ण परमहंस
- बचपन का नाम- नरेन्द्रनाथ दत्त
- इन्होंने 1893 में अमेरिका के शिकांगो शहर में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया।
- इस सम्मेलन में जाने से पूर्व नरेन्द्र नाथ ने खेतड़ी महाराजा अजीत सिंह के सुझाव पर नाम बदल कर स्वामी विवेकानन्द नाम रखा।
- शिकांगो सम्मेलन में स्वामी जी के भाषण के बारे में न्यूयार्क हेराल्ड ने लिखा कि उनको सुनने के बाद हमें यह लगता है कि भारत जैसे ज्ञान सम्पन्न देश में अपने धर्म प्रचारक भेजना कितना मुर्खतापूर्ण कार्य है।
- 1896 में अमेरिका से वापस आकर स्वामी विवेकानन्द ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
- रामकृष्ण मिशन ने कलकत्ता के वेल्लूर और अल्मोड़ा के मायावती नामक स्थानों पर मुख्यालय खोला।
- स्वामी विवेकानन्द ने मैं समाजवादी हूँ नामक पुस्तक लिखी।
- सुभाषचन्द्र बोस ने स्वामी विवेकानन्द को आधुनिक राष्ट्रीय आन्दोलन का आध्यात्मिक पिता कहा है।
- समाचार पत्र- पहला प्रबुद्ध भारत (अंग्रेजी में) दूसरा- उद्बोधन (बंगाली में)
थियोसाॅफिकल सोसायटी-
- थियोसाॅफिकल सोसायटी की स्थापना मैडम एच.पी. ब्लावत्सकी तथा कर्नल एच.एस. आल्काॅट ने 1875 ई. में न्यूयार्क में की।
- 1882 ई. में थियोसाॅफिकल सोसायटी का अन्र्तराष्ट्रीय कार्यालय आड्यार (मद्रास) में खोला गया।
- इस सोसायटी ने हिन्दू, बौद्ध तथा पारसी धर्म के उत्थान के लिए प्रयत्न किए।
- 1907 ई. में एनीबेसेन्ट थियोसाॅफिकल सोसायटी की अध्यक्ष बनी।
- एनीबेसेन्ट ने 1898 ई. में बनारस में सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल की स्थापना की। जो 1916 ई. में मदन मोहन मालवीय के प्रयत्नों से बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय बना।
वेद समाज-
- के. श्रीधरलू नायडू ने 1864 ई. में वेद समाज की स्थापना की जो दक्षिण के ब्रह्म समाज के रूप में जाना जाता है।
प्रार्थना समाज (बम्बई)-
- प्रार्थना समाज के प्रमुख संस्थापक डाॅ. आत्माराय पाण्डुरंग एवं जस्टिस महादेव गोविन्द रानाडे (1842-1901) थे।
- रानाडे को पश्चिमी भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है।
- रानाडे ने 1861 ई. में विधवा विवाह संघ की स्थापना की।
- 1867 ई. में रानाडे ने पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना की।
- रानाडे को महाराष्ट्र का सुकरात भी कहा जाता है।
- रानाडे के नेतृत्व में गोपाल गणेश आगरकर ने 1884 ई. में दक्कन एजुकेशन सोसायटी की स्थापना की। इस सोसायटी को बाद में पूना फग्र्युसन काॅलेज का नाम दिया गया।
यंग बंगाल आन्दोलन-
- इस आन्दोलन की शुरूआत हेनरी लूई विवियन डेरोजियो (1809-1831 ई.) ने कलकत्ता (बंगाल) में की थी।
- यंग बंगाल आन्दोलन का मुख पात्र बंगाल स्पेक्टेटर (दर्शक) था इसके संस्थापक डेरोजियो थे।
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने डेरोजियों को बंगाल में आधुनिक सभ्यता का अग्रदूत व हमारी जाति का पिता कहा।
19वीं व 20वीं सदी के सामाजिक सुधार-
- लार्ड विलियम बैंटिक ने 1829 ई. में नियम 17 के तहत सती प्रथा पर बंगाल में प्रतिबन्ध लगाया।
- बाद में यह प्रतिबन्ध 1830 ई. में बम्बई और मद्रास में भी लागू हो गया।
- जोनाथन डंकन ने 1792 ई. में बनारस में एक संस्कृत काॅलेज की स्थापना की तथा विलियम कैरी ने सेरामपुर काॅलेज की स्थापना की।
- ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह पर कानून बनाने के लिए अथक प्रयास किए तथा 1856 ई. में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 15 (लार्ड डलहौजी के समय) द्वारा विधवा विवाह को वैद्य माना गया।
- ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने स्त्री शिक्षा के प्रचार के लिए बंगाल में 35 विद्यालयों की स्थापना की।
- वुड डिस्पैच (1854 ई.) में पहली बार स्त्री शिक्षा पर बल दिया गया और 1896 ई. में डी.के. कर्वे ने पूना में विधवा आश्रम की स्थापना की।
- 1916 ई. में कर्वे ने पूना में पहला महिला विश्वविद्यालय स्थापित किया।
- भारत में दास प्रथा पर प्रतिबन्ध 1843 ई. मेें लार्ड एलनबरो के समय लगा।
- एज आॅफ कंसेट एक्ट (सहमति आयु अधिनियम) पारित किया गया। इसके द्वारा 12 वर्ष से कम आयु की न्यूनतम कन्याओं के विवाह पर प्रतिबन्ध लगाया गया।
- 1930 ई. में हरविलास शारदा के प्रयत्नों से शारदा एक्ट पारित कर एज आॅफ कंसेट एक्ट को संशोधित कर विवाह की आयु लड़की के लिए 14 वर्ष तथा लड़के के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई।
- प्रार्थना समाज की सदस्य पण्डिता रमाबाई ने आर्य महिला सभा की स्थापना की।
- पहली बार अंग्रेजों द्वारा 1813 में भारतीयों की शिक्षा के लिए 1 लाख रु. प्रतिवर्ष खर्च करने की शुरूआत की।
- 1854 वुड डिस्पैच अधिनियम द्वारा शिक्षा में महिलाओं का प्रोत्साहन बढ़ाया।
- इसे भारतीय शिक्षा का अधिकार पत्र/मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है।