वनों का वर्गीकरण
वनों के वर्गीकरण के अनेक आधार हो सकते है। प्रशासन की दृष्टि से ब्रिटिश शासन काल में भारत के वनों को निम्न तीन वर्गाे में बांटा जाता था-
- सुरक्षित वन- ये वन सीधे सरकार की देखरेख में थे जिसमें लकड़ी इकट्ठा करने एवं पशुचारण हेतु जनसाधारण का प्रवेश वर्जित था। इसके अधीन देश का लगभग 55.09 प्रतिशत (42.33 मिलियन हैक्टेयर) वन क्षेत्र सम्मिलित है।
- संरक्षित वन- इन वनों की देखभाल सरकार द्वारा की जाती थी परन्तु इनमें स्थानीय लोगों को बिना इन्हें क्षति पहुंचाये लकड़ी/जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने और पशुचारण की छूट थी। देश का लगभग 28.27 प्रतिशत (21.72 मिलियन हैक्टेयर) वन क्षेत्र इनके अधिकार में है।
- अवर्गीकृत वन- ये वे वन है जिनका अभी तक वर्गीकरण नहीं किया गया है। इनमें वृक्षांे के काटे जाने और पशुचारण आदि का प्रतिबन्ध नहीं होता है। देश लगभग 16.64 प्रतिशत (12.78 मिलियन हैक्टेयर) वन क्षेत्र पर इनका विस्तार पाया जाता है।
भारत के संविधान में देश के वनों को उनके स्वामित्व, प्रशासन एवं प्रबन्धन की दृष्टि से निम्न तीन वर्गो में बांटा गया है-
- भारत में वन क्षेत्र देश के भौगोलिक एरिया का 21.34 प्रतिशत है।
- भारत में भौगोलिक एरिया का वृक्ष आच्छादित क्षेत्र- 2.82
- भारत में सर्वाधिक वनों का प्रतिशत- मिजोरम 88ण्93ः अरूणाचल प्रदेश 80ः
- भारत में न्यूनतम वन क्षेत्र- हरियाणा, पंजाब
- पिछले दो वर्षो में वन क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि वाला राज्य- तमिलनाडु
- पिछले दो वर्षो में वन क्षेत्र में सर्वाधिक कमी वाला राज्य- मिजोरम
- वृक्षाच्छादित क्षेत्र भारत के किस तट पर सर्वाधिक है- पश्चिमी तट में
- भारत की प्राकृतिक वनस्पति को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले कारकों में- उच्चावचीय स्थिति, जलवायु एवं मिट्टी सम्मिलित रूप से वनस्पति का निर्धारण करते है। 200 सेमी. से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में- सदाबहार वन, 50 – 200 सेमी. के मध्य वर्षा वाले क्षेत्रों में- शुष्क पतझड़ वन तथा 50 सेमी. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में- मरूस्थलीय कटीली झाड़ियां पाई जाती है।
- गरान वन के मुख्य क्षेत्र- डेल्टाई क्षेत्र
- भारत की पहली वन नीति कब लागू की गई थी- 1952
- भारत में वनों को मुख्यतः कितने वर्गो में बांटा जाता है-7
- भारत की ज्वारीय/डेल्टाई/मैग्रोव/दलदली वनस्पतियां समुद्र के पटवर्ती डेल्टाई भागों पर मिलती है। जहां इनकी जटायुक्त जड़े अपने वृक्षांे को (30 मी. की ऊँचाई तक) स्थिर रख पाती है। इनके विस्तार वाले क्षेत्रों में- पूर्वी घाट पर गंगा, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी के डेल्टाई भागों पर इन वनस्पतियों का विस्तार है। इसके अतिरिक्त गुजरात के कच्छ क्षेत्र, पश्चिम घाट के कुछ स्थानों पर भी मैग्रोव वन पाये जाते है।
- राजस्थान के वन विभाग के अनुसार राष्ट्रीय उद्यान 3 है- रणथम्भौर, केवलादेव और मुकुन्दरा हिल्स।
- राजस्थान के वन विभाग के अनुसार राजस्थान में 26 वन्यजीव अभ्यारण्य है।
- भारत में अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्र भूमियां 26 है इनमें से राजस्थान की दो है- सांभर झील एवं केवलादेव