भारत के भौतिक प्रदेश | Bharat Ke Bhotik Pradesh in Hindi

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Bharat Ke Bhotik Pradesh in Hindi

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भारत के भौतिक प्रदेश

भारत की भूगर्भिक संरचना-

  • आर्कियन क्रम की चट्टानें- ये अत्याधिक प्राचीन प्राथमिक चट्टाने हैं जो नीस व सिस्ट के रूप में रूपांतरित हो चुकी है। बुंदेलखंड नीस व बेल्लारी नीस इनमें सबसे प्राचीन है। बंगाल नीस व नीलगिरी नीस भी इन चट्टानों के उदाहरण है।
  • धारवाड़ क्रम की चट्टानें- ये आर्कियन क्रम के प्राथमिक चट्टानों के अपरदन व निक्षेपण से बनी परतदार चट्टाने हैं ये अत्याधिक रूपांतरित हो चुके है एवं इसमें जीवाश्म नहीं मिलते। कर्नाटक के धारवाड़ एवं बेल्लारी जिला, चट्टानें मिलती है। भारत के सर्वाधिक खनिज भंडार इसी क्रम के चट्टानों में मिलते है। लोह-अयस्क, तांबा और स्वर्ण इन चट्टानों में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिज है।
  • कुडप्पा क्रम की चट्टानें- इनका निर्माण धारवाड़ क्रम के चट्टानों के अपरदन व निक्षेपण से हुआ है। ये अपेक्षाकृत कम रूपांतरित है परन्तु इनमें भी जीवाश्म का अभाव मिलता है। कृष्णा घाटी, नल्लामलाई पहाड़ी क्षेत्र, पापाघानी व चेयार घाटी आदि में ये चट्टानें मिलती है।
  • विंध्य क्रम की चट्टानों- कुडप्पा क्रम की चट्टानों के बाद ये चट्टानों निर्मित हुई है। इनका विस्तार राजस्थान के चितौड़गढ़ से बिहार के सासाराम क्षेत्र तक है। विंध्य क्रम के परतदार चट्टानों में बलुआ पत्थर मिलते है। इन चट्टानों का एक बड़ा भाग दक्कन टैªप से ढँका है।
  • गोंडवाना क्रम की चट्टानें- ऊपरी कार्बोनीफेरस युग से लेकर जुरैसिक युग तक इन चट्टानों का निर्माण अधिक हुआ है। ये चट्टानों कोयले के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। भारत का 98ः कोयला गोंडवाना क्रम के चट्टानों में मिलता है। ये परतदार चट्टानें है एवं इनमें मछलियों व रेंगनेवाले जीवों के अवशेष मिलते है। दामोदर, महानदी और गोदावरी व उसकी सहायक नदियों में इन चट्टानों का सर्वोत्तम रूप मिलता है।
  • दक्कन ट्रैप- इसका निर्माण मेसोजोइक महाकल्प के क्रिटेशियस कल्प में हुआ था। इस समय विदर्भ क्षेत्र में ज्वालामुखी के दरारी उद्भेदन से लावा का वृहद उद्गार हुआ एवं लगभग 5 लाख वर्ग किमी. का क्षेत्र इससे आच्छादित हो गया। मोटाई तक बैसाल्टिक लावा का जमाव मिलता है। यह प्रदेश दक्कन ट्रैप कहलाता है। राजमहल ट्रैप का निर्माण इसमें भी पहले जुरैसिक कल्प में हो गया था।

भारत को उच्चावच के आधार पर 4 भागों में बाँटा गया है-

  1. पर्वतीय भाग- 10.7% – 2135 मी. से अधिक ऊँचाई (शंक्वाकार आकृति/तीव्र ढाल)
  2. पहाड़ी भाग- 18.6% – 305 मी. से अधिक 2135 मी. से कम (शंक्वाकार/तीव्र ढाल)
  3. पठारी भाग- 27.7% – 305 मी. से 914 मी. तक (मेजानुमा आकृति)
  4. मैदानी भाग- 43% – 305 मी. से कम ऊँचाई

भौतिक विभाग- भारत को कुल 6 भौतिकी प्रदेशों में बाँटा गया है-

  1. उत्तर व उत्तर पूर्वी पर्वतीय प्रदेश
  2. उत्तर का विशाल मैदान
  3. दक्षिण का पठार/प्रायद्वीपीय पठार
  4. भारतीय मरूस्थल
  5. तटीय मैदान

1. उत्तर व उत्तर पूर्वी पर्वतीय प्रदेश

इसे दो भागों में बाँटा गया है-
ट्रांस हिमालय- इसे चार भागों में बाँटा गया है-

  • कराकोराम
  • लद्दाख
  • कैलाश
  • जास्कर
  • ट्रांस हिमालय का नामकरण स्वेन हेडन ने किया
  • कराकोरम- इसे कृष्णागिरी व तिब्बत के पठार की रीढ़ कहते है।
  • K2 गाॅडविन ऑस्टीन (जम्मू-कश्मीर)- कराकोरम श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी व भारत की सबसे ऊँची चोटी (पाक अधिकृत) है।
  • अन्य श्रेणियाँ- ब्रोडपीक, हिडनपीक, गसेर बु्रम, मसेरब्रुम।
  • कराकोरम के प्रमुख ग्लेशियर/हिमानी- सियाचीन- हिस्पार, बियाको, बाल्टोरो- भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर सियाचीन है।

प्रमख दर्रे-

  1. कराकोरम दर्रा
  2. अधील दर्रा
  • लद्दाख- इस श्रेणी में खडूर्गला दर्रा स्थित है।
  • कैलाश- लद्दाख का एक बढ़ा हुआ भाग जो भारत में न होकर तिब्बत में स्थित है।
  • जास्कर- इस श्रेणी में फोटूला दर्रा स्थित है।

हिमालय- हिमालय का भौगोलिक वर्गीकरण

  • हिमालय- उत्तर पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर चापाकार आकृति में 2400 किमी. की लम्बाई में फैला हुआ है।
  • औसत ऊँचाई- 6000 मी.
  • चौड़ाई- 160 किमी. से 400 किमी. तक यह टेथिस सागर का अवशेष है।

हिमालय को 3 भागों में बाँटा गया है।

1. महान हिमालय- औसत ऊँचाई- 6100 मी., औसत चैड़ाई- 25 किमी., औसत की प्रमुख श्रेणियाँ

महान हिमालय की श्रेणियाँ- नंगा पर्वत, नंदा देवी, कंचनजघा (स्वतंत्र भारत की सबसे ऊँची चोटी), नामचा बरबा, बद्रीनाथ, केदारनाथ।

चोटी का नामराज्यऊँचाई
नंगा पर्वतजम्मू कश्मीर8126 मीटर
नंदा देवीउत्तराखण्ड7817 मीटर
कंचन जंगासिक्किम8598 मीटर
नामचा बरवाअरूणाचल प्रदेश7756 मीटर

नेपाल में महान हिमालय की प्रमुख श्रेणियाँ-

  • माउण्ट ऐवरेस्ट- 8848 मी. संसार की सबसे ऊँची माउंट एवरेस्ट पर जाने वाली प्रथम महिला- जूकोतबाई (जापान) 1975
  • पहली भारतीय महिला- बछेन्द्री पाल (1984)
  • दो बार जाने वाली भारतीय महिला- संतोष यादव
  • नेपाल में महान हिमालय की निम्न चोटियाँ है- मकालू, मनसालू, धौलागिरी, अन्नापूर्णा।
  • पाकिस्तान में महान हिमालय की प्रमुख श्रेणियाँ-
    1. सुलेमत/सुलेमान
    2. किरथर
  • चुम्बी घाटी- सिक्किम, भूटान व तिब्बत का क्षेत्र चुम्बी घाटी के नाम से जाना जाता है।
  • महान हिमालय व लघु हिमालय के बीच अवसाद जमा होने से उपजाऊ घाटी का निर्माण हुआ, इसे कश्मीर घाटी कहते है।
  • यहाँ प्राचीन काल में करेवा नामक सरोवर स्थित था।
  • करेवा सरोवर के अवशेष-
    1. वूलर झील
    2. डल झील

यहाँ विश्व प्रसिद्ध जाफरान (केसर) की खेती की जाती है।

2. लघु हिमालय की प्रमुख श्रेणियाँ- पीरपंजाल श्रेणी जम्मू कश्मीर- लघु हिमालय की सबसे लम्बी पर्वत श्रेणी

प्रमुख दर्रे-

  1. पीरपंजाल दर्रा
  2. बनिहाल दर्रा
  • धौलाधर- हिमाचल प्रदेश में स्थित है। प्रमुख दर्रा- रोहतांग दर्रा हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
  • नागटिब्बा, मंसूरी- उत्तराखण्ड
  • महाभारत रेंज- नेपाल में स्थित है।
  • लघु हिमालय के मध्य ढ़ालों पर घास के मैदानों का विकास हुआ है।
  • इन्हें जम्मू कश्मीर में मर्ग कहते है। जैसे- सोनमर्ग, गुलमर्ग उत्तराखण्ड में बुग्याल/पयार कहते है।
  • लघु हिमालयों के उच्च ढ़ालों पर कोणधारी वनों का विकास हुआ है।
  • लघु हिमालय में पर्यटन क्षेत्रों का विकास हुआ है-
    1. मंसूरी
    2. रानीखेत
    3. अल्मोड़ा

3. शिवालिक/उप हिमालय- औसत ऊँचाई- 900-400 मीटर, चैड़ाई- 15-50 मीटर।

  • शिवालिक हिमालय का सबसे नवीनतम भाग है।
  • शिवालिक पोतवार बेसिन (पंजाब) से कोसी बेसिन (अरूणाचल प्रदेश) तक फैला हुआ है।
  • शिवालिक को उत्तराखण्ड में चूरिया के नाम से जाना जाता है। उत्तरप्रदेश में मूरिया के नाम से इसे नेपाल में डुड़वा कहते है। शिवालिक के पूर्वी भाग को द्वार कहते है- हरिद्वार, कोटद्वार।
  • शिवालिक के पश्चिम भाग को दून कहते है। देहरादून, कोटिलदून, पाटिलइनदून
  • यहाँ प्राचीन काल में इण्डो-ब्रह्या नदी बहा करती थी।
  • हिमालय के प्रमुख दर्रे-
    • दर्रा- दो घाटी या पहाड़ियों के बीच तंग रास्ता।
  • जम्मू कश्मीर के प्रमुख दर्रे-
    • बुर्जिल दर्रा- श्रीनगर में गिलगित को जोड़ता है।
    • पीरपंजाल दर्रा- कुलगाँव से कोठी को जोड़ता है।
    • कराकोरम- भारत व चीन
    • जवाहर सुरंग- जम्मू एण्ड कश्मीर का प्रवेश द्वार।
    • बनिहाल दर्रा, फोटूला दर्रा, अधील, खर्डूगल।
  • हिमाचल प्रदेश के प्रमुख दर्रे-
    • शिपकिला दर्रा- सतलज नदी का भारत में प्रवेश
    • रोहतांग दर्रा- शिमला से लेह
    • बड़ालाचा दर्रा- मण्डी से लेह
  • उत्तराखण्ड के प्रमुख दर्रे- थगाला दर्रा, माना दर्रा, नीति दर्रा, लिपुलेख दर्रा।
  • सिक्किम के प्रमुख दर्रे- नाथूला दर्रा- भारत व चीन के मध्य- 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय इस दर्रे को बंद कर दिया गया। 2006 में पुनः खोला गया। (44 वर्ष बाद) जलेप्ला दर्रा
  • अरूणाचल प्रदेश के दर्रे-
    • बोमडिला दर्रा- भारत व चीन के बीच
    • यांगयाप दर्रा- ब्रह्मपुत्र नदी का भारत में प्रवेश दीफू दर्रा (दीबू)
  • मणिपुर का दर्रा-
    • तुजू दर्रा- इम्फाल से म्यांमार को जोड़ता है।

हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण-

  1. पंजाब/कश्मीर हिमालय- यह सिंधु गाॅर्ज से सतलज नदी तक फैला हुआ है। कुल लम्बाई 560 किमी., सर्वोच्च चोटी- ज्ञ2 जम्मू कश्मीर 8611 मी.
  2. कुमायु हिमालय- सतलज नदी से काली नदी तक फैला हुआ है। कुल लम्बाई- 320 किमी., सर्वोच्च चोटी- नन्दा देवी (उत्तराखण्ड) 7817 मीटर
  3. नेपाल हिमालय- काली नदी से तिस्ता नदी तक फैला हुआ, कुल लम्बाई- 800 किमी., सर्वोच्च चोटी- माउण्ट एवरेस्ट (नेपाल)- 8848 मीटर
  4. असम हिमालय- तिस्ता नदी से ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है। कुल लम्बाई 750 किमी., सर्वोच्च चोटी- नामचाबरवा (अरूणाचल प्रदेश) 7756 मीटर

2. उत्तर का विशाल मैदान-

  • इस भौतिक विभाग का निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाये गए अवसादों के जमा होने से हुआ है। इस भौतिक विभाग में सिंधु, गंगा व ब्रह्मपुत्र नदियाँ शामिल है।
  • कुल लम्बाई 3200 किमी., भारत की कुल लम्बाई- 2400 किमी.

उत्तर के विशाल मैदान का भौगोलिक वर्गीकरण-

  • भाबर प्रदेश- यह क्षेत्र शिवालिक के पदस्थली (नीचे) में स्थित है। यह कंकड, पत्थरों से युक्त प्रदेश है। यहाँ नदियों का पानी धरातल पर प्रकट नही होता।
  • तराई प्रदेश- यह प्रदेश भाबर के दक्षिण में स्थित है तथा बांगर के उत्तर में स्थित है। यह दलदली क्षेत्र है। यहाँ सर्वाधिक बीमारियाँ पाई जाती है। (मलेरिया) यहाँ से नदियों का पानी पुनः धरातल पर प्रकट होता है।
  • बांगर क्षेत्र- यह प्रदेश तराई के दक्षिण में तथा खाट्र के उत्तर में स्थित है। यहाँ नदियों का पानी प्रतिवर्ष नहीं पहुंच पाता। इस कारण यहाँ पुरानी जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं। इसे पंजाब में धाया कहते है।
  • खादर प्रदेश- यह क्षेत्र बांगर के दक्षिण में स्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष नदियों का पानी पहुंच जाता है। इस कारण यहाँ नवीनतम जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है। इसे पंजाब में बेट कहते है।
  • डेल्टा- वह स्थान क्षेत्र जहाँ से नदियाँ अपना जल समुद्र में गिराती है। डेल्टा शब्द सर्वप्रथम हेरोडाॅट्स ने नील नदी के लिए प्रयोग किया।

उत्तर के विशाल मैदान का प्रादेशिक वर्गीकरण-

  • दो-आब- दो नदियों के बीच का उपजाऊ क्षेत्र दो-आब कहलाता है। भारत में निम्न दो-आब पाये जाते है।
  • सिन्धु नदी व झेलम नदी के बीच- सिन्धु सागर दो-आब
  • झेलम व चिनाब नदी के बीच- रेचना दो-आब
  • चिनाब व रावी नदी के बीच- चाज दो-आब
  • रावी व व्यास नदी के बीच- बारी दो-आब
  • व्यास व सतलज नदी के बीच- बिस्त दो-आब स्थित है।
  • चौ- मैदानी भागों में नदियों द्वारा बनाए गए गहरे गड्ढ़ों को चै कहा जाता है। चै के लिए सतलज नदी प्रसिद्ध है। भारत में सर्वाधिक चै पंजाब के होशियारपुर जिले में पाए जाते है।
  • बिल- गंगा नदी के आस-पास का वह क्षेत्र जो पानी में डूबा हुआ हो (गहरे गड्ढे)
  • टाल व जल्ला- गहरे गर्त जो बिहार में स्थित है।

3. दक्षिण का पठार/प्रायद्वीपीय पठार

यह भारत का सबसे बड़ा भौतिक विभाग है। भारत का सबसे प्राचीनतम भौतिक विभाग है। यह भौतिक विभाग गौड़वाना लैण्ड का भाग है। इसकी आकृति त्रिभुजाकार है। इस भौतिक विभाग का निर्माण ज्वालामुखी लावे के जमने से हुआ। अतः यह क्षेत्र पथरीला क्षेत्र है।

  • प्रमुख पठार-
    1. मालवा का पठार- दक्षिण राजस्थान व मध्य प्रदेश
    2. बुन्देलखण्ड का पठार- मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश
    3. बघेलखण्ड का पठार- मध्य प्रदेश व उत्तरप्रदेश व छत्तीसगढ़
      बघेलखण्ड का पठार बुन्देलखण्ड के पठार का एक हिस्सा है।
    4. छोटा नागपुर का पठार (झारखण्ड)- इसे भारत का रूर कहते है व खनिजों का भण्डार कहते है।
    5. कर्बी ऐंगलोग का पठार- असम में स्थित है।
    6. मेघालय का पठार/सिंलोग का पठार- मेघालय में स्थित है।
  • मध्यवर्ती उच्च भूमि-
    • विंध्याचल पर्वतमाला- मध्यप्रदेश यह भ्रंश कंगार के रूप में खड़ा है जो गंगा नदी का मैदान व दक्षिण भारत को अलग करता है।
    • सतपुड़ा- सतपुड़ा श्रेणी के 4 भाग है-
      • सतपुड़ा
      • महादेव
      • राजपीपला
      • मैकाल
  • धूपगढ़- महादेव श्रेणी की दूसरी सबसे ऊँची चोटी (1350 मी.) है।
  • पंचमड़ी- महादेव श्रेणी की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।
  • अमरकंटक- मैकाल पर्वत श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी है। यहाँ से सोन व नर्मदा नदी का उद्गम होता है।
  • पश्चिमी घाट/सहयाद्री- यह गुजरात के खानदेश से शुरू होकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक स्थित है कुल लम्बाई 1500 किमी., ऊँचाई- 900-1500 मी.
  • पश्चिमी घाट की प्रमुख श्रेणियाँ-
    • अन्नामलाई- केरल की सबसे ऊँची चोटी- अन्नाईमुडी (2695 मी.) दक्षिण भारत व पश्चिम घाट की सबसे ऊँची चोटी है।
    • नीलगिरी पर्वत श्रेणी- कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु यह पश्चिम घाट व पूर्वी घाट को जोड़ती है।
    • डोडाबेटा/दोदाबेटा- तमिलनाडु नीलगिरी श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी, दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी, ऊँचाई 2633 मी.।
  • कुन्द्रेमुख व बाबा बूदन की पहाड़ी- कर्नाटक काॅफी उत्पादन व लौह उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
  • कलसुबाई- महाराष्ट्र में स्थित है।
  • पश्चिम घाट के प्रमुख दर्रे-
    1. थाल घाट- मुम्बई से नासिक को जोड़ता हैं।
    2. भोरघाट- मुम्बई से पुणे को जोड़ता है।
    3. पालघाट- कोच्चि (केरल) से कोयम्बटूर (तमिलनाडु) को जोड़ता है।
    4. सेनकोट- तिरूवंतपुरम (केरल) से मदुरई (तमिलनाडु) को जोड़ता है।
  • पूर्वी घाट- यह उड़ीसा से तमिलनाडु तक फैला हुआ है। कुल लम्बाई 1300 किमी., ऊँचाई 600 मीटर
  • महेन्द्रगिरी की पहाड़ी- उड़ीसा ऊँचाई- 1500 मीटर, पूर्व घाट की सबसे ऊँची चोटी
  • शैवराय- नीलगिरी की पहाड़ी (तमिलनाडु)
  • पलनी- नीलगिरी की पहाड़ी (तमिलनाडु)
  • नन्नामलाई- नीलगिरी की पहाड़ी (तमिलनाडु)
  • जावेदी- नीलगिरी की पहाड़ी (तमिलनाडु)
  • राजमहल श्रेणी- पश्चिमी बंगाल
  • मालदा भ्रंश- यह राजमहल व मेघालय के बीच में स्थित है।

उत्तर पूर्व पठारी प्रदेश-

  • कर्बी ऐंगलोग का पठार- असम में स्थित है।
  • मेघालय का पठार- मेघालय में स्थित है। गारो, खासी, जयंतियाँ की पहाडियाँ (पश्चिम से पूर्व की ओर क्रम)
  • मासिनराम- विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान, यह खासी की पहाड़ी में स्थित है।
  • दक्कन का पठार- यह गुजरात, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में फैला हुआ है।

द्वीप समूह-

इसे दो भागों मे बांटा गया है-

  1. दूरस्थ द्वीप समूह
  2. निकटवर्ती द्वीप समूह

दूरस्थ द्वीप समूह

  • बंगाल की खाड़ी-
    • अण्डमान निकोबार-
      • सेंडल पीक- 738 मीटर (उत्तरी अंडमान), अण्डमान निकोबार की सबसे ऊँची चोटी है।
      • माउण्ट थुईलन- 642 मीटर (बड़ निकोबार/ग्रेट निकोबार), अण्डमान निकोबार की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।
      • नारकोंडम (ज्वालामुखी)- यह मृत ज्वालामुखी है। इसका कभी उद्गार नहीं होता है।
      • बैरन द्वीप (ज्वालामुखी)- यह भारत का एकमात्र सक्रीय ज्वालामुखी है।
      • पोर्ट ब्लेयर- अण्डमान निकोबार की राजधानी, भारत का नवीनतम बंदरगाह है।
      • डंकन पास- दक्षिण अण्डमान व छोटा अण्डमान के बीच स्थित है।
      • इंदिरा पांइट- ग्रेट निकोबार (6º45′ उत्तरी अक्षांश) यहाँ पिग्मिलियन पाॅइट स्थित है।
      • अण्डमान निकोबार 6º उत्तरी अक्षांश से 14º उत्तरी अक्षांश के मध्य स्थित है।
      • अण्डमान निकोबार 92º पूर्वी देशान्तर में 94º पूर्व देशान्तर के मध्य स्थित है।
  • अरब सागर (लक्ष्यद्वीप)-
    • करावती- लक्ष्यद्वीप की राजधानी
    • मिनिकाय- लक्ष्यद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप
    • 8º चैनल- मालद्वीप व मिनिकाय के बीच स्थित है।
    • 9º चैलन- मिनिकाय व करावती के बीच स्थित है।
    • लक्ष्यद्वीप का अर्थ- 1 लाख द्वीपों का समूह है, लक्ष्यद्वीप का निर्माण प्रवाल भित्तियों (मूंगा नामक जानवर बनाता है) से हुआ है, यहाँ 90% मुस्लिम लोग निवास करते है। यहाँ सर्वाधिक नारियल का उत्पादन होता है, लक्ष्यद्वीप को सैलानियों का स्वर्ग कहा जाता है।

निकटवर्ती द्वीप समूह-

  • पूर्वी घाट के द्वीप समूह-
    • गंगासागर द्वीप- पश्चिमी बंगाल (कोलकाता), हुगली नदी के किनारे स्थित है।
    • बालासोर द्वीप- उड़ीसा में स्थित है।
    • व्हीलर द्वीप- उड़ीसा में स्थित है।
    • श्री हरिकोटा द्वीप (आंध्र प्रदेश)- यहाँ सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र स्थित है।
    • पम्बन द्वीप- तमिलनाडु आदम ब्रिज के पास है।
  • पश्मिची घाट के प्रमुख द्वीप-
    • हेनरे- मुम्बई (महाराष्ट्र)
    • केनरे- मुम्बई (महाराष्ट्र)
    • आलियाबेर- खम्भात की खाड़ी
    • खडियाबेर- खम्भात की खाड़ी
    • ड्यू- खम्भात की खाड़ी
    • पीमर- खम्भात की खाड़ी
    • पीजन- कर्नाटक में स्थित है

4. भारतीय मरूस्थल

  • थार का मरूस्थल- भारत व पाकिस्तान में फैला हुआ है। भारत के 4 राज्यों में फैला हुआ है।
  • पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान
  • मरूस्थल राजस्थान में- 12 जिलों में फैला हुआ है।
  • थार का मरूस्थल टेथस सागर का अवशेष है। विश्व का सबसे युवा मरूस्थल, सर्वाधिक जैवविविधता वाला मरूस्थल, थार के मरूस्थल क स्थान पर प्राचीनकाल में महासागर स्थित था। इसके प्रमाण यहाँ पाई जाने वाली खारे पानी की झील है।
  • यहाँ पाये जाने वाले रेत के टीलों को बालुका स्तूप, धौरे या धरियन कहा जाता है।

ये निम्न प्रकार के होते है-

  1. बरखान- अर्द्धचन्द्राकार रेत का ढीला
  2. रेखीय- वायु के समानान्तर
  3. अनुप्रस्थ- वायु के समकोण बनाते है।
  4. तारा- ये सर्वाधिक सूरतगढ़ (गंगानगर) व मोहनगढ़ (जैसलमेर) में पाये जाते है।
  • रन/टाट- पश्चिम राजस्थान में पाई जाने वाले (छोटे-छोटे गड्ढे) लवणीय गर्त
  • प्लाया- पश्चिम राजस्थान में पाई जाने वाली झीलें सर्वाधिक प्लाया झीलें जैसलमेर में पाई जाती है।
  • आकलवुड फाॅसिल पार्क- जैसलमेर जहाँ जीवाश्मों को सुरक्षित रखा गया है।

5. तटीय मैदान

पश्चिमी तट-

  1. कच्छ का रन
  2. सौराष्ट्र
  3. काठियावाड- गुजरात में स्थित है।
  • कोंकण तट- महाराष्ट्र व गोवा के बीच स्थित है।
  • कन्नड तट- मेंगलोर (कर्नाटक) में स्थित है।
  • मालाबार तट (केरल)- यहाँ 1 जून को अरब सागर का मानसून प्रवेश करता है। यहाँ लैगून झील पाई जाती है, जिन्हें केरल में कयाल कहते है। यहाँ मसाला व नारियल का उत्पादन सर्वाधिक होता है।

पूर्वी तट-

  • कोरोमण्डल तट- तमिलनाडु के उत्तर में स्थित है। इस तट पर मानसून से वर्षा नहीं होता है। यहाँ वर्षा शीलकालीन या लौटते हुए मानसून से होती है। इस तट पर सर्वाधिक कृषि की जाती है। अतः इसे अन्न का भण्डार कहते है। इस तट का जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक है।
  • उत्तरी सरकार- इसे दो भागों में बांटा गया है-
    1. उत्कल का मैदान- उड़ीसा
    2. काकीनाड़ा तट- आंध्रप्रदेश व उड़ीसा के बीच यहाँ लैगून झीलों पाई जाती है।
    3. चिल्का झील- उड़ीसा में स्थित है।
    4. पुलिकर झील- आंध्रप्रदेश में स्थित है।
  • पश्चिमी घाट सतत् रूप से फैला हुआ है। जबकि पूर्वी घाट टूटा-फूटा (विच्छिदन) रूप में फैला हुआ है।

भारत में कुल उपवाह तंत्र-

  1. अरब सागर- 23%
  2. बंगाल की खाड़ी- 77%

हिमालय का अपवाह तंत्र-

सिंधु नदी तंत्र-

  • दो-आब- दो नदियों के बीच का उपजाऊ क्षेत्र दो-आब कहलाता है।
  • सिंधु नदी- कुल लम्बाई 2880 किमी., भारत में कुल लम्बाई- 1114 किमी.,
  • उदगम- मानसरोबर झील, कैलाश पर्वत (तिब्बत) यह नदी भारत के केवल जम्मू-कश्मीर राज्य के लेह जिले में बहती हुई पाकिस्तान में प्रवेश कर कच्छ की खाड़ी में अपना जल गिराती है। सिंधु नदी जल समझौता 1960 में भारत व पाकिस्तान के मध्य हुआ।
  • सहायक नदियाँ- जास्कर, दास, नुब्रा, गिलगित, स्योक, हूँजा।

झेलम नदी-

उदगम्- शेषनाग झील के पास बेरीनाग झरने से निकलती है। यह नदी पाकिस्तान में जाकर चिनाव नदी में मिल जाती है। वूलर झील में यह नदी अपना जल गिराती है। श्रीनगर, इसी नदी के किनारे बसा हुआ है वूलर झील भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। झेलम नदी पर दो परियोजनाएं बनी हुई है।

  1. तुलबुल परियोजना
  2. उरी परियोजना- जम्मू कश्मीर में स्थित है।

चिनाब नदी-

  • उद्गम- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से, यह नदी पाकिस्तान में जाकर सिंधु नदी में मिल जाती है। इस नदी पर निम्न परियोजनाएं है-
  1. सलाल परियोजना
  2. दुलहस्ती परियोजना
  3. बगलिहार परियोजना
  • चिनाब नदी का नाम चिनाब ताण्डी कांगडा जिला (हिमाचल प्रदेश) नामक स्थान के बाद पड़ता है।

रावी नदी-

  • उद्गम- रोहतांग दर्रा (हिमाचल प्रदेश) यह नदी पाकिस्तान में जाकर चिनाब नदी में मिल जाती है। इस नदी पर थीन बाँध हिमाचल प्रदेश में बना हुआ है। इस नदी पर परियोजना- चमेरा परियोजना हिमाचल प्रदेश में है।

व्यास नदी-

  • उद्गम- रोहतांग दर्रे के पास व्यास कुंड से (हिमाचल प्रदेश) यह नदी पंजाब के हरि के बैराज नामक स्थान पर सतलज नदी में मिल जाती है। बाँध- पोंग बाँध हिमाचल प्रदेश में बना हुआ है।

सतलज नदी-

  • उद्गम- मानसरोवर झील, कैलाश पर्वत (तिब्बत) (राकसताल) यह नदी भारत में शिपकिला दर्रा (हिमाचल प्रदेश) में प्रवेश करती है।
  • सतलज नदी पर स्थित बाँध- भाखड़ा बांध व नागल बांध बने हुए है।
  • भाखड़ा बांध भारत का सबसे बड़ा बांध है। नदी तल से ऊँचाई- 226 मीटर, समुद्र तल- 518 मीटर इस बांध के पीछे गोविन्दसागर जलाशय बना हुआ है (हिमाचल प्रदेश) गोविन्दसागर झील एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।
  • भाखड़ा नागल परियोजना 4 राज्यों की संयुक्त परियोजना है- हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान।
  • यह नदी पंचनद में शामिल होकर पाकिस्तान के मीठनकोट नामक स्थान पर सिंधु नदी में मिल जाती है।
  • पंचनद में शामिल नदियाँ- झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज।

गंगा नदी-

  • कुल लम्बाई- 2525 किमी., उदगम- गंगोत्री हिमनद (उत्तराखण्ड) से होता है।देव प्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा व भागीरथी नदी के मिलने पर इसका नाम गंगा पड़ता है।
  • बहाब क्षेत्र- यह नदी उत्तराखण्ड से निकलकर उत्तरप्रदेश में बहती हुई बिहार व पश्चिम बंगाल के बाद बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है। इस नदी को पश्चिम बंगाल में पदमा के नाम से जाना जाता है। तथा अंत में मेघना के नाम से जाना जाता है।
  • गंगा नदी के किनारे स्थित शहर- इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर, हरिद्वार, पटना।
  • बाँया तट- रामगंगा, घाघा, गण्डक, कोशी, महानंदी, राप्ती।
  • दाँया तट- यमुना, सोन और टोंस
  • गंगा नदी भारत की सबसे बड़ी नदी है। गंगा नदी तंत्र भारत का सबसे बड़ा नदी तंत्र है। गंगा को भारत की सबसे पवित्र व अपवित्र कहा जाता है।

यमुना नदी-

  • उद्गम यमुनोत्री (उत्तराखण्ड) से होता है। यह नदी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है। के किनारे स्थित शहर- आगरा, मथुरा और दिल्ली सहायक नदियाँ- चम्बल, सिंध, बेतबा नदी पर माताटीला परियोजना है।

कोसी नदी-

  • नेपाल (हिमालय) इस नदी में बाड़ आने व मार्ग परिवर्तन के कारण इस नदी को बिहार का शोक कहते है।

गण्डक नदी-

  • नेपाल (हिमालय)

सोन नदी-

  • अमरकण्टक की पहाड़ी (छत्तीसगढ़) इस नदी के रेत में सोने के कण पाये जाते है, इस कारण इसे स्वर्ण नदी भी कहा जाता है।

सरयू नदी-

  • उद्गम नेपाल (हिमालय) से होता है। अयोध्या इसी नदी के किनारे स्थित है।

ब्रह्मपुत्र नदी-

  • कुल लम्बाई 2900 किमी., उद्गम- मानसरोवर झील चेमायुंगडुंग (तिब्बत) उदगम स्थल पर सांग्पो अरूणाचल प्रदेश दिहांग, असम- ब्रह्मपुत्र, पश्चिम बंगाल- जमुना के नाम से जानी जाती है।
  • कोरबा गार्ज- अरूणाचल प्रदेश में बना हुआ है। यह नदी भारत में अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है।
  • माजुली द्वीप (असम)- यह विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप है।
  • सुन्दरवन का डेल्टा (पश्चिम बंगाल)- गंगा व ब्रह्मपुत्र नदी, विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा बनाती है।
  • डेल्टा शब्द नील नदी के लिए सर्वप्रथम हेरोडाॅट्स ने दिया।

बंगाल की खाड़ी में जल ले जाने वाली नदियाँ-

  • दामोदर नदी- उदगम- छोटा नागपुर का पठार (झारखंड़) इसे बंगाल का शोक कहते है। इस नदी पर भारत की सबसे पहली बहुद्देशीय परियोजना दामोदर घाटी विकास प्राधिकरण इसका निर्माण अमेरिका की टेंसी परियोजना को आधार मानकर किया गया।
  • इस नदी पर जायकबाड़ी परियोजना बनाई गई है।
  • महानदी- उद्गम- सिहावा जिला (छत्तीसगढ़) से होता है। इस नदी पर हीराकुण्ड बांध (उड़ीसा) में बना हुआ है। (लम्बाई- 4800 मी.) यह भारत का सबसे लम्बा बांध है।
  • गोदावरी नदी- उदगम- नासिक (महाराष्ट्र) से होता है। कुल लम्बाई 1465 किमी., दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी है। (बड़ी) यह दक्षिण भारत का सबसे बड़ा नदी तंत्र भी है। इसे वृद्ध गंगा भी कहा जाता है।
  • कृष्ण नदी- उदगम- महाबलेश्वरम् (महाराष्ट्र) से होता है। कुल लम्बाई 1401 किमी., दक्षिण भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी, इस नदी पर नागार्जुन सागर परियोजना बनी है। जो आंध्रप्रदेश व तेलंगाना की संयुक्त परियोजना है।
  • कावेरी नदी- उदगम- ब्रह्मागिरी की पहाड़ी (कर्नाट) से होता है। इस नदी पर शिवसमुद्रम (कर्नाटक) जल प्रपात बना हुआ है। यहाँ से भारत की पहली जलविद्युत परियोजना की शुरूआत की गई। दक्षिण भारत की एकमात्र नदी है। जिसमें वर्ष भर /पानी रहता है।
  • कावेरी जल विवाद- कर्नाटक व तमिलनाडू के बीच चल रहा है।
  • चम्बल- उद्गम- जानापाव की पहाड़ी (मध्यप्रदेश) इस नदी पर चार बांध बने हुये है।
    1. गाँधीसागर (मध्यप्रदेश), राणाप्रताप सागर
    2. जवाहर सागर (कोटा), कोटा बैराज (कोटा) उत्खात स्थलाकृति हेतु पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

अरब सागर में जल ले जानी वाली नदियाँ-

  • नर्मदा नदी- उदगम- अमरकटंक की पहाड़ी, मैकाल पर्वत (छत्तीसगढ़) यह नदी विध्यांचल पर्वत व सतपुड़ा के बीच भृश घाटी दरार घाटी/रिफ्त घाटी में बहती हुई खंभात खाड़ी में अपना जल गिराती है।
  • भृंशघाटी में बहने वाली नदियाँ- नर्मदा, ताप्ती, दामोदर नदियाँ है।
  • एश्चुयरी का निर्माण करने वाली नदियाँ- नर्मदा, ताप्ती
  • नर्मदा नदी पर निम्न बाँध है-
    1. इंदिरा गाँधी सागर बांध (मध्यप्रदेश)
    2. सरदार सरोवर बांध (गुजरात)
  • परियोजना- नर्मदा नहर परियोजना/सरदार सरोवर परियोजना गुजरात- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व राजस्थान के जालौर व बाड़मेर जिलों इस परियोजना का लाभ मिलता है। इसे गुजरात की जीवन रेखा कहते है। एकमात्र परियोजना जिससे पव्वारा पद्धति से सिंचाई की जाती है। इसे मारवाड़ की भागीरथी कहते है। मारवाड़ की गंगा- लूनी नदी को कहते है।
  • ताप्ती नदी- उद्गम- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुल्ताई स्थान से यह नदी भृंश घाटी में बहती है। यह नदी एश्चुयरी बनाती है। ताप्ती नदी पर निम्न परियोजनाएंे बनी हुई है।
    1. काकड़ा परियोजना
    2. उकारी परियोजना- गुजरात में स्थित है।
  • शरावती नदी- उदगम- कर्नाटक इसी नदी पर जोग/गरसप्पा/जरसप्पा/महात्मा गाँधी जल प्रताप बना हुआ हैं भारत का सबसे ऊँचा जल प्रपात है।
  • भरतपुंजा नदी- उदगम- केरल, यह केरल की सबसे बड़ी नदी है।
  • पेरियार नदी- केरल की नदी है। इस नदी पर इडक्की परियोजना बनी हुई है। (केरल) इस नदी पर पेरियार बांध बना हुआ है।
  • लूनी नदी- उदगम- नाग पहाड़ी, आनासागर झील (अजमेर) इसका बहाव क्षेत्र गोड़वाड़ कहलाता है। (पश्चिम राजस्थान) बांध-
    1. बिलाड़ा बांध (जोधपुर)
    2. नाकोड़ा बांध (बाड़मेर), लूनी नदी का पानी बालोतरा (बाड़मेर) के बाद पानी खारा हो जाता है।
  • माही नदी- उदगम- मेहद झील (मध्यप्रदेश) यह नदी कर्क रेखा को दो बार भागों में काटती है।
    बांध-
    1. माही बजाज सागर बांध (बांसवाड़ा)
    2. कड़ाना बांध (गुजरात के अरावली जिले में) माही बजाज सागर बाँध राजस्थान का सबसे लम्बा बांध (3109 मीटर) राजस्थान का दूसरा परमाणु केन्द्र (प्रस्तावित) छप्पन का मैदान- प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा के बीच।
  • साबरमती नदी- उदगम- पदराला की पहाड़ी (उदयपुर) साबरमती एकमात्र ऐसी नदी है जिसका उदगम तो राजस्थान से होता है, लेकिन गुजरात की मुख्य नदी है।
    माही नदी व साबरमती नदी अपना जल खंभात की खाड़ी में जल ले जाती है।

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